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सावधान! कार्य प्रगति पर है...असुविधा के लिए खेद है!!

हथौड़े से महल गढ़ने वाले हाथ और इंसान का बोझ ढ़ोने वाले कंधे जिंदगी से जंग की 'महाभारत' में खुद से ही भिड़ गए हैं। हजारों मील की दौड़ लगाकर घर की चौखट पर दम तोड़ने की चाह में दौड़े जा रहे हैं।  कह रहे हैं हमें कोरोना नहीं, भूख मार डालेगी। - Vikas Verma, Editor. नमस्कार। मुझे यकीन है कि इस तरह का बोर्ड आपने अपने जीवन में कभी ना कभी तो किसी सड़क किनारे जरूर पढ़ा होगा। जी हां, जब कहीं सड़क निर्माण का काम हो, पानी की पाइप लाइन बिछानी हो, टेलीफोन या विद्युत केबिल ठीक करने हो... तो अक्सर इस तरह का बोर्ड लगा दिया जाता है। ठीक वैसे ही आज आपको यह भी यकीन करना होगा कि प्रकृति ने भू - लोक के कुछ हिस्से को लॉक डाउन दिया है। कुछ रिकवर करने के लिए,  कुछ रिपेयर करने के लिए। जरा एक बार सांस खींचकर तो देखिए कुछ तो फर्क आया होगा इन हवाओं में।  मानव आत्मा तो बेवजह चित्कार रही है। देखिए तो फिजाओं में कितनी शांति है।  ना आंखों में जलन,  ना कानो में शोर, ना सड़कों पर खून।  हां, मानवता की  'महाभारत' अब भी जारी है। हथौड़े से महल गढ़ने वाले हाथ और इंसान...

जिस होलिका ने प्रहलाद जैसे प्रभु भक्त को जलाने का प्रयत्न किया, महिलाएं उसका पूजन क्यों करती हैं ?

जी हां दोस्तों, आपने और हमने अब तक की तमाम कहानी और किस्सों में यही सुना है की होलिका ने भक्त प्रहलाद को जलाने की मंशा से ही अपनी गोद में बिठाया था।... और हमारी तरह आपके भी मन में यह सवाल तो कभी ना कभी आया ही होगा कि भक्त प्रह्लाद को जलाने वाली होलिका का पूजन क्यों किया जाता है ? और क्यों घर की महिलाएं इस दिन होलिका का पूजन करती हैं और व्रत रखती हैं ? आज हमारा आपसे यही सवाल है कि जिस होलिका ने प्रहलाद जैसे प्रभु भक्त को जलाने का प्रयत्न किया, उसका हजारों वर्षों से हम पूजन किसलिए करते हैं ? अगर आपके पास इसका कोई जवाब हो तो नीचे कमेंट बॉक्स में जरूर लिखना,  हम तथ्यात्मक रूप से इसका जवाब खोजने में आपकी मदद करेंगे। ... और उचित हुआ तो अगले आलेख में आपके जवाब या टिप्पणी का उल्लेख जरूर किया जाएगा।

यह समय समय की नहीं, समझ- समझ की बात है...😎😀

*गुम हो गए संयुक्त परिवार* *एक वो दौर था* जब पति,  *अपनी भाभी को आवाज़ लगाकर*  घर आने की खबर अपनी पत्नी को देता था ।   पत्नी की *छनकती पायल और खनकते कंगन* बड़े उतावलेपन के साथ पति का स्वागत करते थे ।  बाऊजी की बातों का.. *”हाँ बाऊजी"*   *"जी बाऊजी"*' के अलावा दूसरा जवाब नही होता था । *आज बेटा बाप से बड़ा हो गया, रिश्तों का केवल नाम रह गया*  ये *"समय-समय"* की नही, *"समझ-समझ"* की बात है  बीवी से तो दूर, बड़ो के सामने, अपने बच्चों तक से बात नही करते थे  *आज बड़े बैठे रहते हैं हम सिर्फ बीवी* से बात करते हैं दादाजी के कंधे तो मानो, पोतों-पोतियों के लिए  आरक्षित होते थे, *काका* ही  *भतीजों के दोस्त हुआ करते थे ।* आज वही दादू - दादी   *वृद्धाश्रम* की पहचान है,   *चाचा - चाची* बस  *रिश्तेदारों की सूची का नाम है ।* बड़े पापा सभी का ख्याल रखते थे, अपने बेटे के लिए  जो खिलौना खरीदा वैसा ही खिलौना परिवार के सभी बच्चों के लिए लाते थे । *'ताऊजी'*  आज *सिर्फ पहचान* रह गए और,......   *छोटे के ...

कहीं कोई सिरफिरा चेहरे पर तेजाब उड़ेल जाता है ... तो कहीं हवस के भूखे कुत्ते जिस्म नोंच लेते हैं..?

नमस्कार दोस्तों। राष्ट्रीय बालिका दिवस सरकारी स्तर पर या यूं कहें कि स्कूल स्तर पर आज औपचारिक रूप से पूरे देश भर में मनाया गया। जबकि बालिका व महिलाओं से जुड़े गंभीर मामलों में आज भी महिलाएं प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार हो रही है । दिल्ली का निर्भया रेप कांड व उन्नाव रेप केस इसका उदाहरण कहा जा सकता है। आजादी के 72 साल बाद भी एक बालिका परिवार व समाज के लिए आज भी सम्मानजनक नहीं मानी जा रही है। और ना ही हमारा समाज बालिका को न्याय देने के लिए सक्षम हो पाया है। यहां तक कि आज भी कन्या भ्रूण कोख में ही मार दी जाती हैं या फिर पैदा होते ही नवजात शिशु बालिका का शव, कचरे में पड़ा मिलता है। अब जरा सोचिए कि जब सड़क के किनारे या कचरे के ढेर में सरेआम से शिशु बालिकाओं के शव पाए जा रहे हैं तो ये अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है कि ऐसी कितनी ही कन्या होंगी जिन्हें डॉक्टरों की सहायता से भ्रूण के रूप में ही मार दिया जा रहा है। दोस्तों, शायद ही कोई ऐसा मामला हो जिसमें पुलिस भ्रूण या शिशु बालिका का शव मिलने के बाद दोषियों का पर्दाफाश करने में कामयाब हुई हो। स्थिति तो यह है कि बेटियां जब पैदा हो जाती हैं... त...

'वॉट द लव' with Karan...

Netflix  पर  करण जौहर  का  'वॉट द लव' दोस्तों नमस्कार, कैसे हैं आप। लीजिए आज ब्लाॅगवाणी में फिल्मी सितारों की जानकारी, आपके लिए। बॉलीवुड के मशहूर डायरेक्टर और प्रोड्यूसर करण जौहर   Netflix पर  एक नया शो लेकर आए हैं। इस शो का नाम है 'वॉट द लव' । इस शो में करण जौहर लव गुरु की भूमिका में दिखेंगे। हाल ही में शो का ट्रेलर रिलीज हुआ, जिसे काफी पसंद किया जा रहा है। ट्रेलर में करण जौहर कुछ युवाओं को ग्रूमिंग और सेल्फ लव के टिप्स देते नजर आए। उनके साथ सनी लियोनी भी नजर आईं। ट्रेलर में करण जौहर के अलावा अली फजल,परिणीति चोपड़ा,सैफ अली खान,सनी लियोनी और हुमा कुरैशी जैसे सितारे शामिल है। बता दें करण ने इसके पहले भी इश्क एफएम पर कॉलिंग करण नाम से एक पॉडकास्ट किया था। इस शो में भी करण ने गुरु की भूमिका निभाई थी। करण जौहर के जन्मदिन के अवसर पर इस शो की जानकारी साझा करते हुए नेटफ्लिक्स ने ट्वीट करके कहा था कि करण जौहर के जन्मदिन पर हमने खुद को उनके द्वारा होस्ट किया गया एक डेटिंग शो उपहार में देने का फैसला किया है। करण जौहर द्वारा होस्ट किया जाने वाला 'वॉट द लव ...

सच्ची तस्वीर, धन्यवाद राजस्थान पत्रिका...

साभार- राजस्थान पत्रिका जी हां, यही है आज के सभ्य समाज की सच्ची तस्वीर, जो आज के अंक में अपने मुख पृष्ठ पर राजस्थान पत्रिका ने प्रकाशित की है। यह तस्वीर आईना है, उस शिक्षित और सभ्य समाज का, जो महिलाओं के अधिकारों की बात करता है। यह तस्वीर समाज के पुरूषों की उस दोहरी मानसिकता पर हंस-हंसकर सवाल कर रही है कि ‘बताओ जरा, 50 प्रतिशत की भागीदारी वह ‘नारी’ कहां हैं? कब तक नारी के चेहरे पर घुंघट लपेटकर उस पर अपना (पुरूष) मुखौटा चिपकाते रहोगे। ...और यह तो महज एक तस्वीर है! आज तो जब पंचायत चुनावों का बिगुल बज चुका है तो ग्राम पंचायत क्या, गांव-गांव, गली-गली ऐसे पम्पलेट व पोस्टर दीवारों पर चस्पे पड़े हैं, जिन पर महिलाओं से जबरदस्ती ....जी हां जबरदस्ती हाथ जुड़वाकर उन्हें समाजसेविका, कर्मठ व ईमानदार सेविका बताकर वोट मांगने का जरिया बना लिया है। ...क्योंकि संविधान ने आरक्षण दिया है महिलाओं को, और ग्राम पंचायत की सीट आरक्षित हुई है महिला को! तो फिर घर की महिला के कंधे पर बंदूक  रखकर चुनाव क्यों ना लड़ लिया जाए, क्योंकि राजनीति जिंदा रखनी है, पुरूष राजनीति? जी हां, यह पुरूष राजनीति...

हमारे राज्य पशु पर ऑस्ट्रेलिया में मंडरा रही मौत...?

।। श्रवण सिंह राठौड़ की कलम से।।  हमारे रेगिस्तानी जहाज ऊंट के लिए बहुत ही बुरी खबर हैं। राजस्थान में ऊंट को संरक्षण देने के लिए 2014 से ही राज्य पशु का दर्जा प्राप्त है। उधर आपदा - आग की तबाही झेल रहा ऑस्ट्रेलिया 10 हजार ऊंटों को मारेगा । वजह, पानी की कमी। जल संकट। आदिवासी समुदाय की मांग पर ऊंटों को मारने का काम आज से शुरू हो चुका है। इस खबर ने मुझे अंदर तक हिलाकर रख दिया है। ऊंटों को मारना, पूरी तरह प्रकृति के खिलाफ और अमानवीय है। राजस्थान में भी भारी जल संकट है। ऐसे में पानी की कीमत हमको भी समझने की जरूरत है। ऑस्ट्रेलिया में ऊंटों को गोली मारने के पीछे असली वजह वहां पानी की भारी कमी होना बताया जा रहा है। वहां के आदिवासी समुदाय का कहना है कि जंगली ऊंट हमारे संपत्ति को भी नुकसान पहुंचा रहे और हमारे हिस्से का पानी पी जाते हैं। इस वजह से आदिवासी समुदाय की मांग पर वहां की सरकार ने आनन-फानन में निर्णय लेकर आज बुधवार से हेलीकॉप्टर में बैठे शुटर के जरिए ऊंटों को गोली  मारने के आदेश दिए गए हैं। अभी 10000 ऊंटों को मारा जाएगा। इस खबर से मैं बहुत आहत हूं। ये विकृत मानसिकता...

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