सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

मैं बेटी हूं कोई सूरज नहीं जो कोहरे की चादर में दुबक जाऊं...

नमस्कार दोस्तों, ब्लॉग वाणी में आप सभी का स्वागत है मैं हूं आपकी दोस्त शालू वर्मा। सुबह हो चुकी है उठ जाइए। वैसे तो सूरज भी अभी कोहरे की चादर में दुबका हुआ है। पुरुष है ना, देर से उठेगा, आप सब की तरह। देखो ना, यह धरती सुबह 4: 00 बजे से जाग चुकी है। स्त्री है ना, जागना पड़ता है। हम सब स्त्रियों की तरह।


दोस्तों, पुरुषों की तरह हमें कोई आवाज देकर नहीं उठाता। ...और ना ही हमें कोई अलार्म लगाना पड़ता है। हमें आवाज देती है 'ममता'। वो ममता, जो हमारे पशुओं से जुड़ी है। वह ममता, जो हमारे अपने बच्चों से जुड़ी है। वह ममता, जो घर के रिश्तों व परिवार से जुड़ी है। आधे से ज्यादा भारत में हमारी बहनें यानी स्त्रियां महज इसलिए सुबह 4: 00 बजे उठ जाती हैं कि उन्हें अपने पशुओं- गाय ,भैंस, बकरी इत्यादि को चारा डालना होता है, पानी पिलाना होता है, उनका दूध निकालना होता है। फिर चाहे यह मौसम सर्दी, गर्मी, बरसात, कैसा भी क्यों ना हो। ... और दोस्तों, गांव- ढाणियों या फिर जिन घरों में पशु हों वही स्त्रियां जल्दी उठती हैं, ऐसा नहीं है। कस्बों और बड़े शहरों में भी स्त्रियों को तो जल्दी उठना ही पड़ता है। बच्चों के टिफिन और उनको स्कूल के लिए तैयार करने से लेकर कई तरह के घरेलू काम उन्हें पुरुषों के उठने से पहले निपटाने पड़ते हैं।

दोस्तों, यहां मैं आपसे कोई शिकायत नहीं कर रही हूं। ... और ना ही अपने स्त्री होने का रोना रो रही हूं। बल्कि मैं तो यह बताने की कोशिश कर रही हूं कि एक स्त्री, एक मां, एक पत्नी, एक बहन यह सब रिश्ते एक 'बेटी' से शुरू होते हैं घर में एक बेटी के पैदा होने से शुरू होते हैं। ... और आपने और हमने बेटियां पैदा करना बंद कर दी है।

शेष अगले अंक में...

दोस्तों, आपको मेरा यह आलेख कैसा लगा, आप मेरे विचारों से कितने सहमत हैं, कृपया कमेंट बॉक्स में अपने विचार जरूर दर्ज करें ताकि मैं अगले अंक में उन विचारों को शामिल कर सकूं। और इसे अपने सभी ग्रुपों में शेयर करें ताकि यह आलेख दूसरों तक भी पहुंचे और उनके विचार भी हमें प्राप्त हो सके। सहयोग के लिए आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

भाजपा किसान मोर्चा द्वारा विभिन्न स्थानों पर किसान चौपाल का आयोजन

कोटपूतली। केन्द्र सरकार द्वारा पारित किये गये कृषि सुधार कानून 2020 के समर्थन में भाजपा किसान मोर्चा के कार्यकर्ताओं द्वारा जिलाध्यक्ष शंकर लाल कसाना के नेतृत्व में विभिन्न गाँवों में किसान चैपाल का आयोजन किया गया।  इस दौरान कसाना समेत पार्टी पदाधिकारियों व किसान नेताओं ने तीनों कृषि कानूनों के समर्थन में ग्रामीणों व कृषकों को इससे होने वाले फायदों की जानकारी दी। साथ ही किसानों व खेत मजदूरों को नये कानून से मिलने वाले लाभ गिनवाते हुए जागरूक भी किया।  कसाना ने कहा कि नये कृषि कानून देश भर के किसान व मजदूर भाईयों के हित में है। विपक्ष केवल किसानों को बरगलाकर राजनैतिक लाभ उठाना चाहता है। इसके अलावा रविवार को किसान मोर्चा कार्यकर्ताओं ने विभिन्न स्थानों पर लोगों के लिए प्रधानमंत्री के मन की बात कार्यक्रम का आयोजन भी किया।

मोदी जी, संविधान में करो संशोधन ऐसा... कि बलात्कारियों का भी बलात्कार हो जाए

दोस्तों नमस्कार,  ब्लॉगवाणी पर मैं शालू आपका स्वागत करती हूं। दोस्तों, कल रात मैं पुराने अखबारों को एक-एक कर देख रही थी,  छांट रही थी कबाड़ी को रद्दी देने के लिए।  इस दौरान जिस भी दिनांक का अखबार मेरे हाथ में आता गया ....कमोबेश सभी में... 3- 4 खबरें बलात्कार और महिला उत्पीड़न की थी। इनमें से कई खबरें तो अखबार के मेन पेज, व आखिरी पेज पर थी। ... देख- देख कर कलेजा बैठ सा गया।... क्या हो गया है देश को। क्या हैवानियत... दरिंदगी और हवस ही बस गई है मेरे देश के पुरुषों में !?  छी... धिक्कार है... घिन्न आती है मुझे उन लोगों पर भी... जो नारी को 'पूजनीय' बताने की बात करते हैं,  और ऐसी घटनाओं पर उनके मुंह पर डर की पट्टी बंधी रहती है।  वैसे भी नारी कब थी पूजनीय! 'अपनी मां' के चरण स्पर्श कर लेने से नारी पूजनीय सार्थक नहीं हो जाता। ... अखबार समाचार चीख रहे हैं... 6 महीने की मासूम तक को नहीं बख्श रहे हैं दरिंदे... उफ...कहते और बात करते भी कलेजा बैठता हैं। देश के प्रधानमंत्री 'बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ' की बात करते हैं... लेकिन बेटियां ना कोख में बच रही हैं ना देश में।  याद ह

बहरोड़ के इस अस्पताल ने मरीज के शव को बाहर धूप में पटका, विरोध, नारेबाजी और मीडिया के कैमरे छीने

न्यूज़ चक्र/ब्लॉग वाणी। निकटवर्ती बहरोड़ में नेशनल हाईवे पर स्थित पार्क कैलाश अस्पताल  से मानवता को शर्मसार कर देने वाली तस्वीरें सामने आई है। बताया जा रहा है कि यहां एक मरीज की इलाज के दौरान मौत हो गई और उसके बाद अस्पताल प्रशासन ने मृतक का शव बाहर खुले में धूप में पटक दिया। परिजनों ने अस्पताल प्रशासन पर रुपए वसूली के आरोप लगाए हैं। वहीं इस घटना की कवरेज करने पहुंचे पत्रकारों को भी अस्पताल के बाउंसरों का सामना करना पड़ा। आपको बता दें कि बहरोड के पार्क कैलाश अस्पताल में मरीज की मौत के बाद परिजनों ने मृतक का शव बाहर खुले में धूप में पटकने का विरोध किया था और इसकी शिकायत अस्पताल प्रबंधन से की थी। लेकिन जब अस्पताल प्रबंधन ने हठधर्मिता दिखाई तो परिजनों ने मीडिया को सूचना दी।  सूचना पर मौके पर पहुंचे मीडिया कर्मियों को अस्पताल के  बाउंसर का सामना करना पड़ा, यहां तक कि मीडिया कर्मियों ने आरोप लगाया है कि अस्पताल के बाउचरों ने कैमरे छीन लिए और धक्का-मुक्की की। बाद में मीडिया कर्मियों ने अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ नारेबाजी की और मौके पर पहुंचे बहरोड़ थाना अधिकारी व

कृपया फोलो/ Follow करें।

कुल पेज दृश्य