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कोरोना योद्धाओं पर पुष्प वर्षा

न्यूज चक्र। कोरोना महामारी से इस जंग में कोटपूतली प्रशासन क्षेत्रवासियों के लिए अग्रिम पंक्ति की लड़ाई लड़ रहा है और इस जंग में पुलिस प्रशासन ने अपना हथियार बनाया है, ‘‘मेरी जिम्मेदारी’’ को। जी हां, यही वह शब्द है, जो ना केवल कोटपूतली वासियों को बल्कि पूरे जिले में लोगों को कोरोना से लड़ने के लिए प्रेरित कर रहा है। 

'मेरा गावं मेरी जिम्मेदारी' या मेरा शहर मेरी जिम्मेदारी। शहर और गांवों को जिम्मेदारी का पाठ पढ़ाने वाले कोटपूतली एएसपी रामकुमार कस्वा और उनकी पूरी टीम पर जनता आज फूल बरसा रही है। तस्वीरें कोटपूतली शहर की हैं, जहां फ्लैग मार्च के दौरान आम जनता ने कोटपूतली एएसपी रामकुमार कस्वा, डीवाईएसपी दिनेश यादव, थानाधिकारी दिलीप सिंह व तहसीलदार सूर्यकांत शर्मा व पूरी टीम का फूल बरसा कर अभिनन्दन किया। 





आपको बता दें कि प्रशासन के द्वारा चलाए जा रहे अभियान के फलस्वरूप उपखण्ड क्षेत्र में कोरोना संक्रमण मामलों में कमी देखी गई है। हालांकि खतरा अभी टला नहीं है। सावधान रहने व कोरोना गाईडलाइन का पालन करते रहने की जरूरत है।


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Nirbhaya ने फिर मांगा इंसाफ! क्यों?

कभी दिल्ली, कभी राजस्थान, कभी यूपी। क्यों हर दिन कोई बेटी कोई ‘पिड़िता’  कोई  Nirbhaya  बन जाती है। क्यों सरकारें चमचमाती सड़कें देने के बावजूद एक सुरक्षित ‘गली’ नहीं दे पा रही हैं। आज अगर आप गुस्से और जोश में हैं तो याद कीजिए, उस दिन को जब पिछली बार आपके खून में उबाल आया था, बिल्कुल आज ही की तरह, वो दिल्ली की सड़कें थी, बावजूद इसके आज फिर हाथरस की एक ‘निर्भया’ न्याय मांग रही है। यहां सवाल किसी सरकार से नहीं हैं, यहां सवाल आपसे है, क्योंकि वोट आप ही के हाथ से निकलता है! हाथरस की एक Nirbhaya  फिर ‘टीआरपी’ दे गई ? justice for.... ये देश आज फिर गुस्से में हैं। क्योंकि यूपी में जो हुआ, वो ‘कलंक’ है। मानवता पर, धर्म पर, राज पर और नीति पर। भला कैसे नवरात्रों में ‘कन्या’ पूजने का ढोंग कर लेते हम! गुनाहगारों को सजा मुकर्र करने की बजाय पुलिस पिड़िता की ही लाश को आधी रात के समय जंगल में कचरे और फूंस से मिटा दे, तो ‘दुष्कर्म की परिभाषा क्या होगी ? ध्यान देना। देश की आधी से ज्यादा आबादी गांवों में बसती है। गांव ही हैं जो अन्न उगाता है, फल उगाता है, पशुओं को पालता है। गांव के दूध से ...

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