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यादें छोड़ कर रवानगी ले गया साल 2019...स्वागत नहीं करोगे हमारा, मैं हूं 2020 (Happy New Year 2020)

दोस्तों, बीत रहा है यह साल 2019 कई अफसाने देकर…. कहीं खुशी तो कहीं गम के बहाने देकर…जी हां दोस्तों,  बीतते-बीतते एक साल और बीत गया. ये ‘ साल ’ भी बड़ा अजीब होता है. हर साल आता है और हर साल चला जाता है और साल की खास बात ये होती है कि यह कभी लौट कर भी नहीं आता है. बस कुछ यादें छोड़ कर रवानगी ले लेता है. ....यादें... कुछ अच्छी तो कुछ बुरी. इस साल में भी कुछ खास बातें होंगी...जो वह हमारे अगले साल के लिए यानी 2020 के लिए छोड़ कर गया होगा... हमें नया मार्ग दिखा कर गया होगा...हमें बस उन्हीं बातों का अनुसरण करना है....अपने रिश्तो को संजो कर रखना है कुछ इस तरह से...आवाज है अलका याग्निक... कविता कृष्णमूर्ति और साथियों की... इस गीत के बोल लिखे हैं समीर ने और संगीत दिया है नदीम सैफी ने... दोस्तों, , तारीख बदलती है और तारीख बदलते बदलते हमारी उंगलियां एक दिन कैलेंडर बदल देती हैं ...यानी कि वक्त हर किसी का आता है बस आप मेहनत करते रहिए... हर दिन अपने लिए ऐसा समय निकालें जिसमें आप खुद के बारे में सोचते हों। जैसे कि आप क्या पाना चाहते हैं? भविष्य के क्या प्लान हैं? अगर आपको नए मौके मि

उल्लू है हम...यकीन ना आए तो पढ़कर देख लो... Article (2019)

कल रात जब मैं चिल्ला रहा था तो आपने अपनी पत्नी से कहा था कि यह इलाका उजड़ा और वीरान इसलिए है क्योंकि यहाँ उल्लू रहता है!  Read carefully... एक बार एक हंस और हंसिनी हरिद्वार के सुरम्य वातावरण से भटकते हुए, उजड़े वीरान और रेगिस्तान के इलाके में आ गये! हंसिनी ने हंस को कहा कि ये किस उजड़े इलाके में आ गये हैं ??  यहाँ न तो जल है, न जंगल और न ही ठंडी हवाएं हैं यहाँ तो हमारा जीना मुश्किल हो जायेगा ! भटकते भटकते शाम हो गयी तो हंस ने हंसिनी से कहा कि किसी तरह आज की रात बीता लो, सुबह हम लोग हरिद्वार लौट चलेंगे ! रात हुई तो जिस पेड़ के नीचे हंस और हंसिनी रुके थे, उस पर एक उल्लू बैठा था। वह जोर से चिल्लाने लगा। हंसिनी ने हंस से कहा- अरे यहाँ तो रात में सो भी नहीं सकते। ये उल्लू चिल्ला रहा है। हंस ने फिर हंसिनी को समझाया कि किसी तरह रात काट लो, मुझे अब समझ में आ गया है कि ये इलाका वीरान क्यूँ है ??  ऐसे उल्लू जिस इलाके में रहेंगे वो तो वीरान और उजड़ा रहेगा ही। पेड़ पर बैठा उल्लू दोनों की बातें सुन रहा था। सुबह हुई, उल्लू नीचे आया और उसने कहा कि हंस भाई, मेरी वजह से आपको रात में त

अंधेरा कब छंटेगा...

अंधेरा कब छंटेगा...  अखबारों व टीवी चैनलों की रिर्पोटों पर गौर करें तो अधिकतर बलात्कारों के मामले में पिड़िता का प्रेमी, भाई, चचेरा भाई, जेठ या पड़ोस में रहने वाले लोग ही होते हैं। कभी राह चलती लड़की या महिला को किसी अन्जान शख्स ने अपनी हवस का शिकार बनाया हो, ऐसा बहुत ही कम मामलों में देखने को मिलता है। मानव सभ्यता की शुरुआत से ही मौसम की मार से बचने के लिए शरीर को ढकने की जरूरत महसूस की गई. बीतते समय के साथ जानवरों की छाल पहनने से लेकर आज इतने तरह के कपड़े मौजूद हैं. जीवनशैली के आसान होने के साथ - साथ कपड़ों के ढंग भी बदले हैं और अब यह अवसर, माहौल, पसंद और फैशन के हिसाब से पहने जाते हैं. फिर पूरे बदन को ढकने वाले कपड़ों पर जोर क्यों? भारत में बलात्कार के ज्यादातर मामलों में पाया गया है कि पीड़िता ने सलवार कमीज और साड़ी जैसे भारतीय कपड़े पहने हुए थे. उन पर हमला करने वाले पुरुषों ने अपनी सेक्स की भूख को मिटाने के लिए संतुलन खो दिया. ऑनर किलिंग के कई मामलों में किसी महिला को सबक सिखाने के मकसद से उस पर जबरन यौन हिंसा की गई और फिर जान से मार डाला गया. इन सबके बीच कपड़ों पर तो किसी का ध्य

हमारी पुलिस पूरी तरह से सजग और मुस्तैद रहती है साहब, यह टीवी और अखबार वाले तो झूठ बोलते हैं

दोस्तों नमस्कार, देखिए हमारी पुलिस पूरी तरह से मुस्तैद रहती है सजग रहती है और सतर्क रहती है। इस पर कोई भी टीका टिप्पणी करना और खामखा कोई आरोप लगाना सरासर गलत और नाजायज व नाइंसाफी है। ... यह टीवी चैनल और अखबार वाले झूठ बोल रहे हैं की हाईवे से गोवंश सप्लाई होता है।... यह जो शाहजहांपुर में हुआ यह आपने सही नहीं पढ़ा... दरअसल वह लोग तो खाली गाड़ी लेकर के जा रहे थे और यह तो जनता है जिसने उस गाड़ी को रोक करके उसमें गोवंश भर दिया और बाद में वाहन चालकों की पिटाई कर दी।... हमारी पुलिस तो मुस्तैद रहती है साहब! नेशनल हाईवे से एक भी ट्रक,  पिकअप या कोई भी वाहन में गोवंश तो क्या कोई भी पशुधन का परिवहन नहीं होने देती। आप लोग खा-म-खा आरोप लगाना बंद कीजिए और पुलिस को अपना काम करने दीजिए। यह जो जनता है जिसने यह मोब लिंचिंग की घटना को अंजाम दिया है उनमें से एक के को ढूंढ ढूंढ कर के निकालेंगे... बहरोड के आस पास के गांव वालों को तो पता होगा शाहजहांपुर वालों को पता लग जाएगा। इसलिए मैं फिर कह रहा हूं आपको आगाह कर रहा हूं ... कि मंगलवार, गुरुवार और शनिवार तो बिल्कुल भी आप हाईवे की किसी गाड़ियों पर नजर मत डाल

छाछ में मक्खी गिर जाए तो आप छाछ फेंक देते हैं और घी में गिर जाए तो...?

...चलिए पहले बात पूरी करता हूं। छाछ में मक्खी गिर जाए तो आप  मक्खी सहित पूरी छाछ फेंक देते हैं और घी में गिर जाए तो आप  केवल मक्खी निकाल कर फेंक देते हैं।... तब आप घी को नहीं फेंकते। क्यों ? कभी पूछा अपने आप से ! यही तो... मानसिकता है 'स्वार्थ' व 'अर्थ' से भरी। हर व्यक्ति, वस्तु और पद का मूल्यांकन 'आर्थिक' हो गया है। पूरा देश भ्रष्टाचार व रिश्वतखोरी पर उबाल खा रहा है।  सोशल मीडिया, सिनेमा, टीवी,  समाचार पत्र... हर जगह भ्रष्टाचार व रिश्वतखोरी पर बहस हो रही है।  घूस लेते कर्मचारियों के वीडियो  एक-दूसरे के साथ शेयर किए जा रहे हैं। थू थू करते है,  मन भर के गालियां देते हैं।... अच्छी बात है ऐसा होना भी चाहिए। मैं तो यह भी कहता हूं कि घूस लेने वालों का मुंह काला करके उन्हें पूरे शहर घुमाना चाहिए ताकि फिर कोई दूसरा ऐसा करने की हिम्मत ना कर सके। ... लेकिन मेरा मुद्दा यह नहीं है। मैं बात कर रहा हूं 'अपनी ईमानदारी' की। वह कहां गायब हो जाती है जब हमें खुद को कोई काम करवाने के लिए  'घूसखोर' ढूंढना पड़ता है। ध्यान रहे, आप मेरे इस आरोप से बच नहीं सकते। अग

दक्षिण सूडान में सम्मानित हुई भारत की बेटियां ...कमेंट कर कहो शुक्रिया...

नमस्कार,  ब्लॉगवाणी पर एक बार फिर आपका स्वागत है।  दोस्तों,  दंगल फिल्म का मशहूर डायलॉग मारी छोरियां छोरों से कम है के ...सुना होगा ना आपने ... आपको याद भी होगा... वास्तव में आज हमारी बेटियां किसी मायने में बेटों से कम नहीं है... जीवन के हर क्षेत्र में बेटियां नए-नए कीर्तिमान स्थापित कर रही हैं…. अभी पिछले सप्ताह ही भारत की चार बेटियों को दक्षिणी सूडान में सम्मानित किया गया है …. आपको बता दें कि रीना यादव, गोपीका जागीरदार,  भारती सामंतराय, रागिनी कुमारी और कमल शेखावत... यह सब भारत की बेटियां हैं जो दक्षिणी सूडान में संयुक्त राष्ट्र मिशन के साथ काम कर रही हैं और सभी को संयुक्त राष्ट्र की तरफ से दक्षिणी सूडान में सराहनीय सेवाएं देने के लिए सम्मानित किया गया है... दोस्तों, कहने का अर्थ है कि बेटियों को प्रोत्साहन की जरूरत है। उनमें भी दमखम और प्रतिभा कूट-कूट कर भरी है। जरूरत केवल उनका मनोबल बढ़ाने और प्रोत्साहन देने की है। बेटियों को बेटों के अनुरूप आजादी और प्रोत्साहन मिले तो वह अपनी मनचाही उड़ान भरकर आसमान छूने की हिम्मत रखती हैं। दोस्तों, पिछले दिनों देश की चार होनहार बेटि

भैंस सी काया मेरे शहर की ....काहे मचाए कोहराम

खनन और ओवरलोड की समस्या को लेकर   विकास वर्मा की रचना... शानदार।

महिला विहीन थानों के पीछे सरकार की मंशा क्या है ?

 दोस्तों नमस्कार, जरा गौर से देखिए अखबार की यह  एक तस्वीर क्या कुछ कहती है। क्या सिर्फ इतना  कि राजस्थान के 61 थानों में महिला पुलिसकर्मी नहीं है? ... नहीं दोस्तों, यह तस्वीर इससे भी आगे कुछ बता रही है। यह तस्वीर या तो यह बता रही है कि राजस्थान में बेटियां पैदा ही नहीं हो रही है... या फिर यह तस्वीर यह बता रही है कि राजस्थान में बेटियों को समुचित शिक्षा उपलब्ध नहीं हो पा रही है। या फिर राजस्थान की बेटियों पर बंदीशें हैं कि वे सरकारी नौकरी नहीं कर सकती, खासकर पुलिस की ? या फिर इन सब से अलग यह तस्वीर यह कहती है कि राजस्थान में महिला थानों की जरूरत ही  नहीं है यहां की बहू बेटियां पूर्णत सुरक्षित हैं। ... अब आप भी बताइए आपको क्या लगता है। क्या नारी उत्थान की बात करने या बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा लगा देने मात्र से ' नारी सशक्तिकरण'  पूर्ण हो जाता है ! यह तस्वीर और आंकड़े हमें बता रहे हैं कि महिलाओं के साथ घरेलू हिंसा, दहेज उत्पीड़न और छेड़छाड़, बलात्कार जैसे संपूर्ण मामलों की जांच पुरुषों के हाथ में है, सवाल है क्यों ? ... आपके पास अगर सवालों का जवाब हो तो कमेंट बॉक्स में जर

रिद्धि सिद्धि व बुद्धि के दाता हैं गणेश जी

विघ्न हरण मंगल करन गणनायक गणराज । रिद्धि शिद्धि सहित पधारजो पूर्ण करजो काज…. दोस्तों नमस्कार, ब्लॉगवाणी में आप सभी का स्वागत है... दोस्तों, किसी भी कार्य के शुभारंभ से पहले सर्वप्रथम गणेशजी की पूजा करके शुरुआत की जाती है। विघ्‍नहर्ता गणपति भगवान को पूजनीय माना जाता है…. भगवान गणेश का महापर्व गणेश चतुर्थी देश भर में आज धूमधाम से मनाया जा रहा है... गणपति बप्पा आज घर घर में विराजएंगे.. ... भगवान गणेश को ज्ञान, बुद्धि और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। भगवान गणेश को गजानन, गजदंत, गजमुख जैसे नामों से भी जाना जाता है। हर साल गणेश चतुर्थी का पर्व भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी का पर्व हर साल हिन्दू पंचाग के भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। भगवान गणेश की मूर्ति स्थापति कर अगले 10 दिन तक गणेश उत्सव मनाया जाता है।   इस दिन लोग मिट्टी से बनी भगवान गणेश की मूर्तियां अपने घरों में स्थापित करते हैं। गणेश चतुर्थी का उत्सव मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा से शुरू होता है। पूजा के दौरान भगवान गणेश के पसंदीदा लड्डू का भोग लगाया जाता है। इसमें मोद

बेटी तो... बेटी भी नहीं रहती..... फिर बेटा क्यों ?

नमस्कार, मैं शालू... वही शालू जो ब्लॉगवाणी पर रोजाना आपका स्वागत करती है... हर दिन की तरह आज भी ब्लॉगवाणी पर आपका स्वागत है दोस्तों।  अच्छा एक बात बताइए, क्या बेटियां सच में 'बेटा' होती हैं। आपका जवाब हां हो सकता है लेकिन मैं कहूंगी नहीं...! बेटियां बेटी ही रहती हैं जब तक.... तब तक की ...वह कुछ ऐसा ना कर दें कि ' पिता गर्व से कहें कि "यह बेटी नहीं बेटा है मेरा'। जी हां दोस्तों, सौ फीसदी सही कह रही हूं मैं। अब शुक्लावास गांव से निकली निशा यादव को ही देख लीजिए। टीवी चैनल और अखबार बता रहे हैं... खुद निशा ने भी बताया। ... कि मेरे शुरुआती फैसले से पापा नाराज थे।  मुझे घर से निकलना पड़ा। ... लेकिन अब निशा कामयाब हो चुकी है। अब वह मुंबई की चहेती है... मॉडल है... वकालत कर रही है।... तो अब वह पापा का बेटा है। दोस्तों, यह केवल अकेली निशा का दर्द या कहानी नहीं है। ऐसा तो हर एक लड़की के साथ होता है। लड़की की शादी से पहले तक कमोबेश हर पिता अपनी बेटी को 'बेटा' कहकर ही संबोधित करता है। ... लेकिन उसे बेटों की तरह लाइफस्टाइल में जीने की मनाही होती है। ...

मोदी जी, संविधान में करो संशोधन ऐसा... कि बलात्कारियों का भी बलात्कार हो जाए

दोस्तों नमस्कार,  ब्लॉगवाणी पर मैं शालू आपका स्वागत करती हूं। दोस्तों, कल रात मैं पुराने अखबारों को एक-एक कर देख रही थी,  छांट रही थी कबाड़ी को रद्दी देने के लिए।  इस दौरान जिस भी दिनांक का अखबार मेरे हाथ में आता गया ....कमोबेश सभी में... 3- 4 खबरें बलात्कार और महिला उत्पीड़न की थी। इनमें से कई खबरें तो अखबार के मेन पेज, व आखिरी पेज पर थी। ... देख- देख कर कलेजा बैठ सा गया।... क्या हो गया है देश को। क्या हैवानियत... दरिंदगी और हवस ही बस गई है मेरे देश के पुरुषों में !?  छी... धिक्कार है... घिन्न आती है मुझे उन लोगों पर भी... जो नारी को 'पूजनीय' बताने की बात करते हैं,  और ऐसी घटनाओं पर उनके मुंह पर डर की पट्टी बंधी रहती है।  वैसे भी नारी कब थी पूजनीय! 'अपनी मां' के चरण स्पर्श कर लेने से नारी पूजनीय सार्थक नहीं हो जाता। ... अखबार समाचार चीख रहे हैं... 6 महीने की मासूम तक को नहीं बख्श रहे हैं दरिंदे... उफ...कहते और बात करते भी कलेजा बैठता हैं। देश के प्रधानमंत्री 'बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ' की बात करते हैं... लेकिन बेटियां ना कोख में बच रही हैं ना देश में।  याद ह

जिसने सीखना छोड़ दिया, समझो जीतना छोड़ दिया।... मेरा यह आलेख जरूर पढ़ें... दावा है आपकी दिनचर्या बदल देगा

दोस्तों नमस्कार, मैं शालू वर्मा... ब्लॉगवाणी में आप सभी का स्वागत करती हूं।  दोस्तों, हम प्रतिदिन सुबह उठकर जब अपनी दिनचर्या शुरू करते हैं, तो कुछेक रोजमर्रा के कामों को छोड़कर हमें कुछ नया करना पड़ता है। यानी कि प्रतिदिन हमें कुछ नया सोचने और कुछ नया करने का अवसर मिलता है। हम यह भी कह सकते हैं कि हमारे जीवन का प्रत्येक दिन हमें कुछ नया सिखाने की चेष्टा करता है। ... लेकिन क्यों ? दोस्तों, हमें हर दिन कुछ नया इसीलिए सीखने को मिलता है क्योंकि सीखना ही जीवन है, सीखना ही जीत है।  सीखना ही जीवन का मूल मंत्र है... तभी तो जो सीखता चला गया, वह जीतता चला गया और जिसने सीखना छोड़ दिया... समझो उसने जीतना छोड़ दिया। स्टार महिला बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधु और भारत के लिए स्विट्ज़रलैंड का बासेल शहर तब यादगार और ऐतिहासिक बन गया जब पिछले सप्ताह सिंधु ने विश्व बैडमिंटन चैंपियनशिप का खिताब अपने नाम कर दिया। 5 फुट 10 इंच की सिंधु ने अपनी कामयाबी से बैडमिंटन की दुनिया में अपने कद को आसमानी ऊंचाइयां दे दी। वह इस टूर्नामेंट का खिताब जीतने वाली पहली भारतीय बन गई। ठीक इसी तरह 21 दिन के अंदर चेक गणराज्य में

कोटपूतली की यह बेटी बन गई मुंबई की चहेती, खुद केंद्रीय मंत्री ने वीडियो जारी कर बताई सफलता और संघर्ष की कहानी

नमस्कार दोस्तों, ब्लॉग वाणी में आप सभी का स्वागत है मैं हूं आपकी दोस्त शालू वर्मा। दोस्तों, आज तो यह जानकर बहुत ही खुशी हो रही है कि हमारे कोटपूतली तहसील की एक बेटी जो आज मुंबई की चहेती बन गई है और जिसकी सफलता की कहानी खुद केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी विडियो जारी कर पूरी दुनिया को बता रही हैं। जी हां दोस्तों, मैं बात कर रही हूं निशा की... निशा यादव की। कोटपूतली तहसील के एक छोटे से गांव शुक्लावास में जन्मी इस बेटी का वीडियो जब केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के साथ देखा तो मन खुशी से गदगद हो गया। आपको बता दें कि मुंबई में चल रहे एक रिनाउंड फैशन वीक के मंच से स्मृति ईरानी ने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो पोस्ट शेयर किया है। इस वीडियो में स्मृति ईरानी कह रही हैं कि 'यहां मैं चाहती थी आप सब मिले निशा यादव से... इसकी हाइट है 5 पॉइंट 11 फीट। खास क्या है? सिर्फ एक मॉडल है? आगे स्मृति कहती है कि नहीं, यह जयपुर से लाॅ की पढ़ाई कर रही है। दूसरा साल पूरा किया है और तीसरे साल की पढ़ाई चल रही है और लैक्मे फैशन वीक के प्लेटफार्म पर भी परफॉर्म कर रही है। ... साथ ही केंद्रीय मंत्री ने यह भी संदेश दिय

मैं बेटी हूं कोई सूरज नहीं जो कोहरे की चादर में दुबक जाऊं...

नमस्कार दोस्तों, ब्लॉग वाणी में आप सभी का स्वागत है मैं हूं आपकी दोस्त शालू वर्मा। सुबह हो चुकी है उठ जाइए। वैसे तो सूरज भी अभी कोहरे की चादर में दुबका हुआ है। पुरुष है ना, देर से उठेगा, आप सब की तरह। देखो ना, यह धरती सुबह 4: 00 बजे से जाग चुकी है। स्त्री है ना, जागना पड़ता है। हम सब स्त्रियों की तरह। दोस्तों, पुरुषों की तरह हमें कोई आवाज देकर नहीं उठाता। ...और ना ही हमें कोई अलार्म लगाना पड़ता है। हमें आवाज देती है ' ममता '। वो  ममता, जो हमारे पशुओं से जुड़ी है। वह ममता, जो हमारे अपने बच्चों से जुड़ी है। वह ममता, जो घर के रिश्तों व परिवार से जुड़ी है। आधे से ज्यादा भारत में हमारी बहनें यानी स्त्रियां महज इसलिए सुबह 4: 00 बजे उठ जाती हैं कि उन्हें अपने पशुओं- गाय ,भैंस, बकरी इत्यादि को चारा डालना होता है, पानी पिलाना होता है, उनका दूध निकालना होता है। फिर चाहे यह मौसम सर्दी, गर्मी, बरसात, कैसा भी क्यों ना हो। ... और दोस्तों, गांव- ढाणियों या फिर जिन घरों में पशु हों वही स्त्रियां जल्दी उठती हैं, ऐसा नहीं है। कस्बों और बड़े शहरों में भी स्त्रियों को तो जल्दी उठना ही पड़त

गर्व करो ऐ भारतवासी अब अपना भी संविधान है...

नमस्कार दोस्तों, काव्य मंच में आप सभी का स्वागत है। मैं हूं आपकी दोस्त, शालू वर्मा। आप सभी को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। आज बेटे हिरेन्द्र ने गणतंत्र दिवस के अवसर पर काव्य लेखन किया और बहुत ही सुंदर ढंग से काव्य पाठ किया प्रस्तुत है उसी के अंश... आओ दोस्तों, तुम्हें सुनाऊं कहानी हिंदुस्तान की,  कैसे मिली आजादी हमको, कैसे रचना हुई संविधान की, सन 47 से पहले विधान अंग्रेजों का ही चलता था, रोटी, कपड़ा और मकान मांगने पर चाबुक उनका चलता था, सत्याग्रह बापू का देख, अंग्रेजों का सिंहासन डोला उठा, लाठीचार्ज हुआ लाला पर,  तो आजाद, भगत सिंह का खून खौल उठा, वीर सपूतों की कुर्बानी ने आजादी की अलख जगाई थी, तब जाकर सन 47 में हमने अपनी आजादी पाई थी, इस धरा का इस धरती का जैसे एक विधान है, गर्व करो ऐ भारतवासी अब  अपना भी एक संविधान है, बाबा साहेब अंबेडकर ने  दुनिया के संविधानों को खंगाला, और 2 साल 11 महीने 18 दिन में संविधान बना डाला, आओ दोस्तों तुम्हें सुनाऊं कहानी हिंदुस्तान की कैसे मिली आजादी हम को  कैसे रचना हुई संविधान की...

दुल्हन जब किसी घर की दहलीज में प्रवेश करती है...

याद रखिए शादी के बाद लड़कियों को अपना पीहर छोड़कर ससुराल में रचना बसना होता है, सो लड़कों से ज्यादा जिंदगी उनकी बदलती है। दोस्तों, ब्लॉगवाणी में  आप सभी का स्वागत है। मैं हूं आपकी दोस्त शालू वर्मा। दोस्तों, शादी विवाह का सीजन है, रस्मों रिवाजों का महीना है, तो आइए आज बात कर लेते हैं दुल्हन की। उस दुल्हन की जो पूरे आयोजन की धुरी होती है। उस दुल्हन की जिसकी तस्वीर दीप की लौ से मिलती-जुलती है। जैसे मंदिर में दीप रखा जाता है, वैसे ही घर में दुल्हन आती है। मंदिर सजा हो तो दीप से रोनक दोगुनी हो जाती है‌। वाकई हैरानी की बात है लेकिन सच है शादी का वास्ता केवल दुल्हन से ही जोड़ कर देखा जाता है। शादी केवल एक आयोजन है जिसमें ढेर सारे लोग शामिल होते हैं दुल्हन की अपनी रीत होती है बहुत सारे कार्यक्रम, रश्में और धूम होती है, लेकिन जिनमें दुल्हन शामिल हो। दिलचस्प केवल उन्हें ही माना जाता है या यूं कहें कि जिक्र केवल उन्हीं का होता है। जिक्र होता भी केवल दुल्हन का ही है, दूल्हे को लड़का कहकर बुलाया जाता है और लड़के का व्यक्तित्व बहुत हद तक उसकी नौकरी से और कुछ हद तक उसके रूप से आंक लिया जात

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