सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

#Artical लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैं

आज का प्रश्न ?

शादी के बाद जीवन साथी से सबंध विच्छेद करने हों तो इंग्लिश में डायवर्स बोल देते हैं, उर्दू में ‘तलाक’ कहा जाता है। क्या बता सकते हैं हिन्दी में क्या प्रावधान है? अपना जवाब नीचे कमेंट बाॅक्स में लिखें। कोई शब्द सीमा नहीं! ---------------------------------------------------------- Earn Money With Bllogvani. Note:-   आपकी लेखन में रूचि है, तो घर बैठे कमाऐं। ब्लाॅगवाणी के लिए Artical लिखें। 300-400 शब्दों के स्वरचित आलेख/  Artical  पर ब्लागवाणी से आपको प्रति आलेख 201/- रू प्रदान किए जाएगें। सीधे आपके बैंक खाते में।...तो देर किस बात की, अपने पंसदीदा विषय पर आलेख/ Artical  तैयार करें और व्हाटसअप करें- 9887243320 पर। आपका आलेख ब्लाॅगवाणी पर प्रकाशित होने के उपरांत मानदेय राशि आपके बैक खाते में ट्रांसफर कर दी जाएगी।                                                                           ...

अंधेरा कब छंटेगा...

अंधेरा कब छंटेगा...  अखबारों व टीवी चैनलों की रिर्पोटों पर गौर करें तो अधिकतर बलात्कारों के मामले में पिड़िता का प्रेमी, भाई, चचेरा भाई, जेठ या पड़ोस में रहने वाले लोग ही होते हैं। कभी राह चलती लड़की या महिला को किसी अन्जान शख्स ने अपनी हवस का शिकार बनाया हो, ऐसा बहुत ही कम मामलों में देखने को मिलता है। मानव सभ्यता की शुरुआत से ही मौसम की मार से बचने के लिए शरीर को ढकने की जरूरत महसूस की गई. बीतते समय के साथ जानवरों की छाल पहनने से लेकर आज इतने तरह के कपड़े मौजूद हैं. जीवनशैली के आसान होने के साथ - साथ कपड़ों के ढंग भी बदले हैं और अब यह अवसर, माहौल, पसंद और फैशन के हिसाब से पहने जाते हैं. फिर पूरे बदन को ढकने वाले कपड़ों पर जोर क्यों? भारत में बलात्कार के ज्यादातर मामलों में पाया गया है कि पीड़िता ने सलवार कमीज और साड़ी जैसे भारतीय कपड़े पहने हुए थे. उन पर हमला करने वाले पुरुषों ने अपनी सेक्स की भूख को मिटाने के लिए संतुलन खो दिया. ऑनर किलिंग के कई मामलों में किसी महिला को सबक सिखाने के मकसद से उस पर जबरन यौन हिंसा की गई और फिर जान से मार डाला गया. इन सबके बीच कपड़ों पर तो किसी का...

दुल्हन जब किसी घर की दहलीज में प्रवेश करती है...

याद रखिए शादी के बाद लड़कियों को अपना पीहर छोड़कर ससुराल में रचना बसना होता है, सो लड़कों से ज्यादा जिंदगी उनकी बदलती है। दोस्तों, ब्लॉगवाणी में  आप सभी का स्वागत है। मैं हूं आपकी दोस्त शालू वर्मा। दोस्तों, शादी विवाह का सीजन है, रस्मों रिवाजों का महीना है, तो आइए आज बात कर लेते हैं दुल्हन की। उस दुल्हन की जो पूरे आयोजन की धुरी होती है। उस दुल्हन की जिसकी तस्वीर दीप की लौ से मिलती-जुलती है। जैसे मंदिर में दीप रखा जाता है, वैसे ही घर में दुल्हन आती है। मंदिर सजा हो तो दीप से रोनक दोगुनी हो जाती है‌। वाकई हैरानी की बात है लेकिन सच है शादी का वास्ता केवल दुल्हन से ही जोड़ कर देखा जाता है। शादी केवल एक आयोजन है जिसमें ढेर सारे लोग शामिल होते हैं दुल्हन की अपनी रीत होती है बहुत सारे कार्यक्रम, रश्में और धूम होती है, लेकिन जिनमें दुल्हन शामिल हो। दिलचस्प केवल उन्हें ही माना जाता है या यूं कहें कि जिक्र केवल उन्हीं का होता है। जिक्र होता भी केवल दुल्हन का ही है, दूल्हे को लड़का कहकर बुलाया जाता है और लड़के का व्यक्तित्व बहुत हद तक उसकी नौकरी से और कुछ हद तक उसके रूप से आंक लिया...

लैपटॉप खरीदते समय आप किन जरूरी बातों का ध्यान रखें ...

नमस्कार दोस्तों मैं हूं आपकी दोस्त शालू वर्मा, ब्लॉगवाणी में आपका स्वागत है । दोस्तों, आजकल की डिजिटल दुनिया में स्मार्टफोन के अलावा लैपटॉप लोगों की रोजमर्रा की जरूरत बन गई है, चाहे कॉलेज के प्रोजेक्ट हो या बिजनेस या ऑफिस के काम, हर जगह लैपटॉप का इस्तेमाल होने लगा है। दोस्तों अब अगर लैपटॉप आपके मन के मुताबिक परफॉर्म नहीं करता है तो यह आपके लिए परेशानी का सबब बन जाता है। और यह इसलिए होता है कि लैपटॉप खरीदते समय अक्सर हम कुछ बातों का ध्यान नहीं रख पाते हैं। जिसका खामियाजा हमें बाद में उठाना पड़ता है। आज मैं आपको बताऊंगी कि लैपटॉप खरीदते समय आप किन जरूरी बातों का ध्यान रखकर एक अच्छे लैपटॉप का चुनाव कर सकते हैं। दोस्तों लैपटॉप खरीदते समय यह बात हमेशा ध्यान में रखनी चाहिए कि लैपटॉप में ऑपरेटिंग सिस्टम है या फिर बेसिक ऑपरेटिंग सिस्टम। अगर लैपटॉप में ऑपरेटिंग सिस्टम नहीं है तो आपको अलग से ऑपरेटिंग सिस्टम डलवाना होता है, इसके लिए आपको अलग से कुछ पैसा भी खर्च करना होगा। इसलिए हमारी सलाह है कि आप हमेशा ऑपरेटिंग सिस्टम के साथ आने वाला लैपटॉप की खरीदें। सबसे ज्यादा लोकप्रिय ऑपरेटिंग सिस्टम...

सीखने का जज्बा न तो आज कम है और ना हीं उस समय, बस हममें सीखने की ललक व जज्बा होना चाहिए

नमस्कार दोस्तों, ब्लॉगवाणी पर आपका स्वागत है। मैं हूं आपकी दोस्त शालू वर्मा। आज हम बात करेंगे शिक्षा यानी सीख की। सीख अच्छी या बुरी कैसी भी हो सकती है बस हमारा नजरिया सही होना चाहिए। एक ही कार्य के प्रति अलग-अलग लोगों का अलग अलग नजरिया होता है बस हमें उस नजरिए के द्वारा ही पता चलता है हम कुछ सीख रहे हैं या नहीं। वैसे सीखना जीवन पर्यंत चलने वाली प्रक्रिया है। एक व्यक्ति जन्म से लेकर मृत्यु तक कुछ न कुछ सीखता है। दोस्तों, हम अपनी रोजमर्रा जिंदगी में भी हर घड़ी हर पल कुछ न कुछ सीखते हैं। इस सीखने की प्रक्रिया के कारण ही रूढ़िवादी विचारों तकनीकों को छोड़कर नई तकनीकों को आत्मसात किया गया है। हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी तो युवा वर्ग को भारत की शक्ति मानते हैं और हमेशा कुछ नया करने पर बल देते हैं। वैसे, आपको बता दें कि सीखना तकनीक या फिर किसी नई खोज को ही नहीं कहते बल्कि एक नवजात शिशु का जन्म लेने के पश्चात पहली बार रोना भी सीखना ही होता है। प्राचीन समय में बालक सीखने के लिए आश्रमों में जाते थे। वहां पर ऋषि-मुनियों की शरण में रहकर दैनिक जीवन को चलाने के गुर सीखते थे। आज ...

कृपया फोलो/ Follow करें।

कुल पेज दृश्य