सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

जून, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

नेता, जनप्रतिनिधि, भामाशाह !! छलावा बन रहे शब्द!

दोस्तों, कहीं सुना या पढ़ा तो होगा आपने भी कभी, कि ‘ये शब्द काटते हैं’। लेकिन यह समझ नहीं आया होगा कि कौनसे ‘शब्द’। चलिए मैं बताता हूं। लेकिन हां, अच्छा लगे तो इस आलेख को दूसरों के साथ साझा/शेयर जरूर कर देना। दोस्तों, कोरोना महामारी के बीच आए दिन अखबारों में, टीवी चैनलों पर सैकड़ों हजारों समाचार आपने पढ़ लिए होगें कि ‘फलां भामाशाह ने इतने रूपए दिए। फलां नेता, जनप्रतिनिधि या जनसेवक ने सीएम या पीएम फण्ड में दान दिया। कभी-कभी तो आपने ऐसे नेताओं की अस्पतालों में फल बांटते की तस्वीरें भी देखी होंगी। जिसमें एक ही आदमी को एक साथ चार -पांच लोग मिलकर एक केला या सेब भेंट करते हैं। लेकिन जो दिखता है, सब सच नहीं होता। धोखा होता है, मरीज के साथ, छलावा होता है पाठकों के साथ। एक मरीज, एक फल और देने वाले चार-पांच। इसे सस्ते में लोकप्रियता प्राप्त करने का फण्डा कहते हैं। इसे करने के लिए क्या चाहिए। एक सफेद कुर्ता-पायजामा, 20 से 25 रू किलो के भाव के पांच-सात किलो केले। बस। बाकी पिछलग्गू आदमी तो फोटो खिंचवाते समय और भी मिल ही जाएगें। अब पत्रकारों को फोन करो। शहर छोटा हो तो पत्रकार भी तैयार मिलेगें। छोटे

दिल है कि मानता नहीं !!

- Vikas Verma जी हां, दिल का मामला ही कुछ ऐसा होता है, जिस काम को करने के लिए मना किया जाता है, जब तक उसे कर ना ले, चैन पड़ता ही नहीं है। ‘कहीं लिखा हुआ है कि - दीवार के पार देखना मना हैै।’...तो हम तो देखेगें, नहीं तो दिल को सुकुन नहीं मिलेगा। कहीं लिखा है कि यहां थूकना मना है, तो हम तो थूकेगें, क्योंकि इसी में दिल की रजा़ है, इसी में मजा़ है और इसी में शान है, अभिमान है !! अब देखो ना, ‘सरकार’ कह रही है, सब कह रहे हैं। रेडियो, अखबार, टीवी सब यही कह रहे हैं, कोरोना महामारी है ! मास्क लगाओ, दूरी बनाओ ! पर हम तो ना मास्क लगाएगें, ना हाथों पर सैनेटाईजर लगाएगें और ना सोशल डिस्टेंस बनानी है ! क्यों करें, आखिर मरना तो एक दिन सबको है ! मौत लिखी होगी तो मर जाएगें, नहीं तो क्या करेगा कोरोना !! ...और फिर कोरोना यहां थोड़ी ना है, वो तो वहीं तक है। अगर कोरोना इतना ही खतरनाक होता तो डाॅक्टर, कम्पाउण्डर, पुलिस और ये प्रेस वाले ऐसे ही थोड़ी ना घूमते। इनको भी तो जान प्यारी होगी। ...और फिर जब ये ही नहीं डरते, तो मैं क्यों डरूं ? मेरा दिल इतना कमजोर थोड़ी ना है !! कोटपूतली में मिल रहे लगातार कोरोना

कृपया फोलो/ Follow करें।

कुल पेज दृश्य