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ग्रामीणों ने जन जाग्रति रथ का स्वागत किया, प्रशंसा की

न्यूज चक्र। राजस्थान राज्य स्काउट एण्ड गाईड संघ कोटपूतली के द्वारा कोरोना महामारी से बचाव हेतु लोगों को जागरूक करने के लिए जन जाग्रती रथ चलाया जा रहा है। जन जाग्रति रथ द्वारा सोमवार को स्काउट प्रधान मनोज चैधरी कि अगुवाई में व हंसराज यादव, रामबीर यादव के नेतृत्व में बसई, जाहिदपुरा, नांगड़ीवास, हांसियावास, नांगल पण्डितपुरा व सरपंच कृष्ण आर्य की अगुवाई में भालोजी समेत कई गांवों में जागरूकता अभियान को गति प्रदान की गई। ग्रामीणों ने जन जाग्रति रथ का स्वागत किया और स्काउट व गाइड के इस अनुकरणीय प्रयास की प्रशंसा की।

सोच एक पहल, बीडीएम अस्पताल को सौंपे गए मेडिकल उपकरण

न्यूज चक्र। कोटपूतली के बीडीएम जिला अस्पताल में कोरोना के मरीजों की बढ़ती संख्या के बीच भामाशाह मदद को आगे आने लगे हैं। सोमवार को केशवाना की भाविक टेरीफैब एवं अल्ट्रा पॉलीकोट्स कंपनी द्वारा जिला अस्पताल को कोरोना महामारी के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए चिकित्सा सामग्री प्रदान की गई है।  कंपनी के जनरल मैनेजर अमित कुमार सिन्हा ने बताया कि बीडीएम अस्पताल को --सोच एक पहल-- को लेकर 5 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, 10 मेडिकल स्टूल व 10 आईवी फ्लूड स्टैंड भेंट किए हैं। वही नारेडा सीएचसी में 10 ऑक्सीजन कंसंट्रेट 10 मेडिकल स्टूल, 10 आईवी फ्लूड स्टैंड भेंट किए हैं।  सिन्हा ने बताया कि इसके अलावा हॉस्पिटल को 15 ऑक्सीजन सिलेंडर सहित पूरे जयपुर ग्रामीण क्षेत्र में मास्क व बिस्किट के कार्टून का वितरण भी किया गया है। इस अवसर पर स्थानीय विधायक सहित एडीएम जगदीश आर्य, एसडीएम सुनीता मीणा, तहसीलदार सूर्यकांत शर्मा, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक रामकुमार कस्वां, उप पुलिस अधीक्षक दिनेश यादव,थानाधिकारी दिलीप सिंह, बीडीएम पीएमओ चैतन्य रावत, वरिष्ठ सर्जन अश्वनी गोयल उपस्थित रहे।

अंधेरा कब छंटेगा...

अंधेरा कब छंटेगा...  अखबारों व टीवी चैनलों की रिर्पोटों पर गौर करें तो अधिकतर बलात्कारों के मामले में पिड़िता का प्रेमी, भाई, चचेरा भाई, जेठ या पड़ोस में रहने वाले लोग ही होते हैं। कभी राह चलती लड़की या महिला को किसी अन्जान शख्स ने अपनी हवस का शिकार बनाया हो, ऐसा बहुत ही कम मामलों में देखने को मिलता है। मानव सभ्यता की शुरुआत से ही मौसम की मार से बचने के लिए शरीर को ढकने की जरूरत महसूस की गई. बीतते समय के साथ जानवरों की छाल पहनने से लेकर आज इतने तरह के कपड़े मौजूद हैं. जीवनशैली के आसान होने के साथ - साथ कपड़ों के ढंग भी बदले हैं और अब यह अवसर, माहौल, पसंद और फैशन के हिसाब से पहने जाते हैं. फिर पूरे बदन को ढकने वाले कपड़ों पर जोर क्यों? भारत में बलात्कार के ज्यादातर मामलों में पाया गया है कि पीड़िता ने सलवार कमीज और साड़ी जैसे भारतीय कपड़े पहने हुए थे. उन पर हमला करने वाले पुरुषों ने अपनी सेक्स की भूख को मिटाने के लिए संतुलन खो दिया. ऑनर किलिंग के कई मामलों में किसी महिला को सबक सिखाने के मकसद से उस पर जबरन यौन हिंसा की गई और फिर जान से मार डाला गया. इन सबके बीच कपड़ों पर तो किसी का...

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