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मार्च, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

सावधान! कार्य प्रगति पर है...असुविधा के लिए खेद है!!

हथौड़े से महल गढ़ने वाले हाथ और इंसान का बोझ ढ़ोने वाले कंधे जिंदगी से जंग की 'महाभारत' में खुद से ही भिड़ गए हैं। हजारों मील की दौड़ लगाकर घर की चौखट पर दम तोड़ने की चाह में दौड़े जा रहे हैं।  कह रहे हैं हमें कोरोना नहीं, भूख मार डालेगी। - Vikas Verma, Editor. नमस्कार। मुझे यकीन है कि इस तरह का बोर्ड आपने अपने जीवन में कभी ना कभी तो किसी सड़क किनारे जरूर पढ़ा होगा। जी हां, जब कहीं सड़क निर्माण का काम हो, पानी की पाइप लाइन बिछानी हो, टेलीफोन या विद्युत केबिल ठीक करने हो... तो अक्सर इस तरह का बोर्ड लगा दिया जाता है। ठीक वैसे ही आज आपको यह भी यकीन करना होगा कि प्रकृति ने भू - लोक के कुछ हिस्से को लॉक डाउन दिया है। कुछ रिकवर करने के लिए,  कुछ रिपेयर करने के लिए। जरा एक बार सांस खींचकर तो देखिए कुछ तो फर्क आया होगा इन हवाओं में।  मानव आत्मा तो बेवजह चित्कार रही है। देखिए तो फिजाओं में कितनी शांति है।  ना आंखों में जलन,  ना कानो में शोर, ना सड़कों पर खून।  हां, मानवता की  'महाभारत' अब भी जारी है। हथौड़े से महल गढ़ने वाले हाथ और इंसान का बोझ ढ़ोने वाले कंधे

जिस होलिका ने प्रहलाद जैसे प्रभु भक्त को जलाने का प्रयत्न किया, महिलाएं उसका पूजन क्यों करती हैं ?

जी हां दोस्तों, आपने और हमने अब तक की तमाम कहानी और किस्सों में यही सुना है की होलिका ने भक्त प्रहलाद को जलाने की मंशा से ही अपनी गोद में बिठाया था।... और हमारी तरह आपके भी मन में यह सवाल तो कभी ना कभी आया ही होगा कि भक्त प्रह्लाद को जलाने वाली होलिका का पूजन क्यों किया जाता है ? और क्यों घर की महिलाएं इस दिन होलिका का पूजन करती हैं और व्रत रखती हैं ? आज हमारा आपसे यही सवाल है कि जिस होलिका ने प्रहलाद जैसे प्रभु भक्त को जलाने का प्रयत्न किया, उसका हजारों वर्षों से हम पूजन किसलिए करते हैं ? अगर आपके पास इसका कोई जवाब हो तो नीचे कमेंट बॉक्स में जरूर लिखना,  हम तथ्यात्मक रूप से इसका जवाब खोजने में आपकी मदद करेंगे। ... और उचित हुआ तो अगले आलेख में आपके जवाब या टिप्पणी का उल्लेख जरूर किया जाएगा।

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