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अगस्त, 2018 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

लैपटॉप खरीदते समय आप किन जरूरी बातों का ध्यान रखें ...

नमस्कार दोस्तों मैं हूं आपकी दोस्त शालू वर्मा, ब्लॉगवाणी में आपका स्वागत है । दोस्तों, आजकल की डिजिटल दुनिया में स्मार्टफोन के अलावा लैपटॉप लोगों की रोजमर्रा की जरूरत बन गई है, चाहे कॉलेज के प्रोजेक्ट हो या बिजनेस या ऑफिस के काम, हर जगह लैपटॉप का इस्तेमाल होने लगा है। दोस्तों अब अगर लैपटॉप आपके मन के मुताबिक परफॉर्म नहीं करता है तो यह आपके लिए परेशानी का सबब बन जाता है। और यह इसलिए होता है कि लैपटॉप खरीदते समय अक्सर हम कुछ बातों का ध्यान नहीं रख पाते हैं। जिसका खामियाजा हमें बाद में उठाना पड़ता है। आज मैं आपको बताऊंगी कि लैपटॉप खरीदते समय आप किन जरूरी बातों का ध्यान रखकर एक अच्छे लैपटॉप का चुनाव कर सकते हैं। दोस्तों लैपटॉप खरीदते समय यह बात हमेशा ध्यान में रखनी चाहिए कि लैपटॉप में ऑपरेटिंग सिस्टम है या फिर बेसिक ऑपरेटिंग सिस्टम। अगर लैपटॉप में ऑपरेटिंग सिस्टम नहीं है तो आपको अलग से ऑपरेटिंग सिस्टम डलवाना होता है, इसके लिए आपको अलग से कुछ पैसा भी खर्च करना होगा। इसलिए हमारी सलाह है कि आप हमेशा ऑपरेटिंग सिस्टम के साथ आने वाला लैपटॉप की खरीदें। सबसे ज्यादा लोकप्रिय ऑपरेटिंग सिस्टम

प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए अगस्त माह की जनरल नॉलेज..

नमस्कार दोस्तों मैं हूं आपकी दोस्त शालू वर्मा, ब्लॉगवाणी में आपका स्वागत है । दोस्तों, आज ब्लॉगवाणी में मैं आपको अगस्त माह की जनरल नॉलेज से अवगत करवाऊंगी, जो कि आपको प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए बहुत ही उपयोगी सिद्ध होगी । दोस्तों, मैंने यह करंट GK विभिन्न अखबारों  व पत्र- पत्रिकाओं से लेकर के तैयार की है, उम्मीद है आपको पसंद आएगी । आपको मेरा यह प्रयास अच्छा लगे तो मुझे कमेंट बॉक्स में जरुर बताएं अपने सुझाव भी रखें, ब्लॉग को फॉलो करें और इसे दूसरों के साथ शेयर जरूर करें...Thanks. अंतरराष्ट्रीय युवा दिवस-   12 अगस्त आज के युवाओं के आस-पास सांस्कृतिक और कानूनी मुद्दों के एक निर्धारित चैट पर ध्यान आकर्षित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा इस दिवस को मनाने की शुरुआत की गई । हिंदू प्लेराइट अवार्ड 2018 किस भारतीय लेखक ने जीता है ? जवाब है - एनी जैदी भारतीय लेखक एनी जैदी ने कोरोमंडल में जय हिंदू थिएटर फेस्ट के 14 वें संस्करण में अपने नाटक  अनटाइटलड के लिए 2018 हिंदू प्लेराइट पुरस्कार 2018 जीता है । हाल ही में किस भारतीय प्राधिकरण ने RUCO पहल  शुरू की है ?

कुछ तो शर्म करो ए दुनिया वालों बस जरा सी कसर बाकी है, अब इस दीए में और तेल नहीं बस जरा सी बाती बाकी है,

नमस्कार दोस्तों, ब्लॉगवाणी में आपका स्वागत है। मैं हूं आपकी दोस्त शालू वर्मा, और आज ब्लॉगवाणी में मैं आपके लिए लेकर आई हूं, आज के दौर में प्रकृति पर एक कविता। आपको अच्छी लगे तो इसे शेयर कीजिएगा और Blog फॉलो कीजिएगा… ↳ कुछ तो शर्म करो ए दुनिया वालों बस जरा सी कसर बाकी है, अब इस दीए में और तेल नहीं बस जरा सी बाती बाकी है, ↳ बुझ ना जाए कहीं यह दीया, पेड़ों पर कुल्हाड़ी चलाने से, नोटों के बंडल खातिर, बावड़ियों के पेंदे सुखाने से, ↳ क्यों चला रहे हो हथौड़े पहाड़ों पर, क्यों सूनी मां की छाती है, क्यों गिरती है यहां खड़ी इमारतें, क्यों पल में सुनामी आ जाती है, ↳ कुछ तो शर्म करो ए दुनिया वालों बस जरा सी कसर बाकी है अब इस दीए में और तेल नहीं बस जरा सी बाती बाकी है, ↳ क्यों खामोश हैं वे हवाऐं, जो कभी खुशियों के राग सुनाती थी, मिलाती थी ताल से ताल बैसाखी पर, रंगों के संग इठलाती थी, ↳ क्यों ठहर गई वह गंगा, जो कभी आई फाड़कर मां की छाती थी, क्यों गोमुख गया है सूख, क्यों चिड़िया रेत में नहाती है, ↳ कुछ तो शर्म करो ए दुनिया वालों बस जरा सी कसर बाकी है,

वहशी दरिंदों के आगे बेबस बेटियां, बेबस सरकार...

यत्र नार्यस्तु पूज्यंते तत्र रमंते देवता अर्थात जहां पर नारियों की पूजा की जाती है वहां पर देवता निवास करते हैं। यह कहावत सतयुग से ही चली आ रही है और यह एक कहावत ही नहीं अपितु सतयुग, द्वापर युग, आदि यूगो से इस पर अमल भी किया जाता रहा है। उस समय नारियों का स्थान पुरुषों से ऊपर था। प्रत्येक कार्य उनसे पूछ कर किए जाते थे। लेकिन इस कलयुग में जैसा नाम वैसा काम के अनुसार घटनाएं घट रही हैं । हमारे देश में बेटियों को पढ़ाने व आगे बढ़ाने के लिए अनेक योजनाएं शुरू की जा चुकी है। जिनमें बेटी बचाओ - बेटी पढ़ाओ, सुकन्या योजना, जननी सुरक्षा योजना आदि चलाई जा रही है। बेटियों को संबल प्रदान करने के लिए अनेकों योजनाएं शुरू करने के बाद भी आज उनकी स्थिति दयनीय व विचारनीय है। पढ़ाना व आगे बढ़ाना तो दूर, आज हमारी बेटियां कहीं पर भी सुरक्षित नहीं है। पत्र - पत्रिकाओं में नित नई खबरें छपती रहती हैं। वहशी दरिंदे न तो उम्र देखते हैं, ना जात देखते हैं, ना समय देखते हैं, ना धर्म देखते हैं और ना ही रिश्ते देखते हैं। राह चलते आदमी से लेकर नेता, गुरु व व्यापारियों तक ने भी बालिकाओं को नहीं बख्शा। जिन्हें

सीखने का जज्बा न तो आज कम है और ना हीं उस समय, बस हममें सीखने की ललक व जज्बा होना चाहिए

नमस्कार दोस्तों, ब्लॉगवाणी पर आपका स्वागत है। मैं हूं आपकी दोस्त शालू वर्मा। आज हम बात करेंगे शिक्षा यानी सीख की। सीख अच्छी या बुरी कैसी भी हो सकती है बस हमारा नजरिया सही होना चाहिए। एक ही कार्य के प्रति अलग-अलग लोगों का अलग अलग नजरिया होता है बस हमें उस नजरिए के द्वारा ही पता चलता है हम कुछ सीख रहे हैं या नहीं। वैसे सीखना जीवन पर्यंत चलने वाली प्रक्रिया है। एक व्यक्ति जन्म से लेकर मृत्यु तक कुछ न कुछ सीखता है। दोस्तों, हम अपनी रोजमर्रा जिंदगी में भी हर घड़ी हर पल कुछ न कुछ सीखते हैं। इस सीखने की प्रक्रिया के कारण ही रूढ़िवादी विचारों तकनीकों को छोड़कर नई तकनीकों को आत्मसात किया गया है। हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी तो युवा वर्ग को भारत की शक्ति मानते हैं और हमेशा कुछ नया करने पर बल देते हैं। वैसे, आपको बता दें कि सीखना तकनीक या फिर किसी नई खोज को ही नहीं कहते बल्कि एक नवजात शिशु का जन्म लेने के पश्चात पहली बार रोना भी सीखना ही होता है। प्राचीन समय में बालक सीखने के लिए आश्रमों में जाते थे। वहां पर ऋषि-मुनियों की शरण में रहकर दैनिक जीवन को चलाने के गुर सीखते थे। आज

जिंदगी क्या है...एक द्वंद है...

जिंदगी क्या है ?  यह महज एक सवाल नहीं, अपितु एक द्वंद है । जिसके बारे में हर तीसरा व्यक्ति सोचता है । एक गरीब तबके से लेकर करोड़पति तक अपने जीवनकाल में कभी न कभी यह जरूर सोचता है ।   यह भी सच है कि  जिंदगी के विषय में अलग- अलग लोगों की अलग- अलग ही राय होती है, कोई कहता है कि भगवान की देन है इसे हमें नेक कामों में लगाना चाहिए । तो कोई कहता है, यह सब कुदरत का दिया हुआ है ।  एक गरीब व्यक्ति के लिए तो यह 2 जून की रोटी मिलने का नाम है ।  तो मध्यम वर्ग के लिए थोड़ा और ऊंचा उठने का नाम । अमीरों के लिए पूरे संसार को मुठ्ठी में करने का नाम है । अर्थात दी हुई अमानत का सभी वर्गों के सोचने और इस पर चलने का अलग अलग नजरिया है । वास्तव में क्या है जिंदगी, यह किसी को भी नहीं पता, तो दोस्तों आज की ब्लॉगवाणी के संदेश हैं कि जिंदगी एक बेशकीमती चीज है ,  जिसको सहेजना हमारा फर्ज है । इस संसार में प्रत्येक व्यक्ति का जन्म किसी न किसी कार्य को पूरा करने के लिए हुआ है । और हमें उस कार्य को पूरी तल्लीनता से करना चाहिए । मनुष्य ही नहीं, अपितु संसार के प्रत्येक जीव जंतु का जन्म एक निश्चित लक्ष्

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