न्यूज चक्र। कोरोना महामारी के खिलाफ लगातार जंग जारी है। प्रशासन गांव- गंाव कमेटियां बनाकर कोरोना महामारी पर काबू पाने का प्रयास कर रहा है। कोटपूतली अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक रामकुमार कस्वां ने कहा है कि ग्रामीण व शहरी क्षेत्र में गठित कमेटियां गावं में सैनेटाईज करने, लोगों को घरों में रहने व ग्रामीणों के स्वास्थ्य की जांच कर रही हैं। कस्वां ने आमजन से अपील करते हुए आगाह किया है कि बेवजह घर से बाहर ना निकलें। जो बेवजह घर से बाहर मिलेगा, पुलिस प्रशासन उसे क्वारंटीन करेगा और महामारी एक्ट के तहत मुकदमा भी दर्ज किया जाएगा। इसलिए अपने व अपने परिवार की फिक्र करें, और कोरोना गाइडलाइन की सख्ती से पालना करें। सुनिए, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक का यह अपील आडियो।
नमस्कार दोस्तों, महापुरुषों की कीर्ति किसी एक युग तक सीमित नहीं रहती। उनका लोक हितकारी चिंतन युगों युगों तक समाज का मार्गदर्शन करता है। ब्लॉगवाणी में आज हम एक ऐसे ही प्रकाश स्तंभ की चर्चा करेंगे, जो ना केवल भारत के स्वतंत्रता संग्राम के सेनानी रहे बल्कि एक सामाजिक कार्यकर्ता भी थे और पूरा देश जिन्हें राष्ट्रीय अध्यापक का सम्मान देता है। जी हां, आज हम बात करेंगे आचार्य विनोबा भावे की। आचार्य विनोबा भावे जिन्हें राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का आध्यात्मिक उत्तराधिकारी भी कहा गया। उनकी आध्यात्मिक चेतना समाज और व्यक्ति से जुड़ी थी, इसी कारण संत स्वभाव के बावजूद उनमें राजनीतिक सक्रियता भी थी। उन्होंने सामाजिक अन्याय और धार्मिक विषमता का मुकाबला करने के लिए देश की जनता को स्वयंसेवी होने का आह्वान किया। उन्होंने देश की जनता के हितों के लिए जो आंदोलन चलाएं वह अपने आप में किसी चमत्कार से कम नहीं है। 1951 की बात है, आजाद हिंदुस्तान को जन्म लिए बस 4 ही साल बीते थे। देश में भयंकर गरीबी थी। लोगों के पास खाने के लिए रोटी नहीं थी। रोटी बनाने के लिए अन्न नहीं था। अन्न उपजाने के लिए जमीन नहीं थ...
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