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यादें छोड़ कर रवानगी ले गया साल 2019...स्वागत नहीं करोगे हमारा, मैं हूं 2020 (Happy New Year 2020)

दोस्तों, बीत रहा है यह साल 2019 कई अफसाने देकर…. कहीं खुशी तो कहीं गम के बहाने देकर…जी हां दोस्तों,  बीतते-बीतते एक साल और बीत गया. ये ‘ साल ’ भी बड़ा अजीब होता है. हर साल आता है और हर साल चला जाता है और साल की खास बात ये होती है कि यह कभी लौट कर भी नहीं आता है. बस कुछ यादें छोड़ कर रवानगी ले लेता है. ....यादें... कुछ अच्छी तो कुछ बुरी. इस साल में भी कुछ खास बातें होंगी...जो वह हमारे अगले साल के लिए यानी 2020 के लिए छोड़ कर गया होगा... हमें नया मार्ग दिखा कर गया होगा...हमें बस उन्हीं बातों का अनुसरण करना है....अपने रिश्तो को संजो कर रखना है कुछ इस तरह से...आवाज है अलका याग्निक... कविता कृष्णमूर्ति और साथियों की... इस गीत के बोल लिखे हैं समीर ने और संगीत दिया है नदीम सैफी ने... दोस्तों, , तारीख बदलती है और तारीख बदलते बदलते हमारी उंगलियां एक दिन कैलेंडर बदल देती हैं ...यानी कि वक्त हर किसी का आता है बस आप मेहनत करते रहिए... हर दिन अपने लिए ऐसा समय निकालें जिसमें आप खुद के बारे में सोचते हों। जैसे कि आप क्या पाना चाहते हैं? भविष्य के क्या प्लान हैं? अगर आपको नए मौक...

उल्लू है हम...यकीन ना आए तो पढ़कर देख लो... Article (2019)

कल रात जब मैं चिल्ला रहा था तो आपने अपनी पत्नी से कहा था कि यह इलाका उजड़ा और वीरान इसलिए है क्योंकि यहाँ उल्लू रहता है!  Read carefully... एक बार एक हंस और हंसिनी हरिद्वार के सुरम्य वातावरण से भटकते हुए, उजड़े वीरान और रेगिस्तान के इलाके में आ गये! हंसिनी ने हंस को कहा कि ये किस उजड़े इलाके में आ गये हैं ??  यहाँ न तो जल है, न जंगल और न ही ठंडी हवाएं हैं यहाँ तो हमारा जीना मुश्किल हो जायेगा ! भटकते भटकते शाम हो गयी तो हंस ने हंसिनी से कहा कि किसी तरह आज की रात बीता लो, सुबह हम लोग हरिद्वार लौट चलेंगे ! रात हुई तो जिस पेड़ के नीचे हंस और हंसिनी रुके थे, उस पर एक उल्लू बैठा था। वह जोर से चिल्लाने लगा। हंसिनी ने हंस से कहा- अरे यहाँ तो रात में सो भी नहीं सकते। ये उल्लू चिल्ला रहा है। हंस ने फिर हंसिनी को समझाया कि किसी तरह रात काट लो, मुझे अब समझ में आ गया है कि ये इलाका वीरान क्यूँ है ??  ऐसे उल्लू जिस इलाके में रहेंगे वो तो वीरान और उजड़ा रहेगा ही। पेड़ पर बैठा उल्लू दोनों की बातें सुन रहा था। सुबह हुई, उल्लू नीचे आया और उसने कहा कि हंस भाई, मेरी वजह से ...

अंधेरा कब छंटेगा...

अंधेरा कब छंटेगा...  अखबारों व टीवी चैनलों की रिर्पोटों पर गौर करें तो अधिकतर बलात्कारों के मामले में पिड़िता का प्रेमी, भाई, चचेरा भाई, जेठ या पड़ोस में रहने वाले लोग ही होते हैं। कभी राह चलती लड़की या महिला को किसी अन्जान शख्स ने अपनी हवस का शिकार बनाया हो, ऐसा बहुत ही कम मामलों में देखने को मिलता है। मानव सभ्यता की शुरुआत से ही मौसम की मार से बचने के लिए शरीर को ढकने की जरूरत महसूस की गई. बीतते समय के साथ जानवरों की छाल पहनने से लेकर आज इतने तरह के कपड़े मौजूद हैं. जीवनशैली के आसान होने के साथ - साथ कपड़ों के ढंग भी बदले हैं और अब यह अवसर, माहौल, पसंद और फैशन के हिसाब से पहने जाते हैं. फिर पूरे बदन को ढकने वाले कपड़ों पर जोर क्यों? भारत में बलात्कार के ज्यादातर मामलों में पाया गया है कि पीड़िता ने सलवार कमीज और साड़ी जैसे भारतीय कपड़े पहने हुए थे. उन पर हमला करने वाले पुरुषों ने अपनी सेक्स की भूख को मिटाने के लिए संतुलन खो दिया. ऑनर किलिंग के कई मामलों में किसी महिला को सबक सिखाने के मकसद से उस पर जबरन यौन हिंसा की गई और फिर जान से मार डाला गया. इन सबके बीच कपड़ों पर तो किसी का...

हमारी पुलिस पूरी तरह से सजग और मुस्तैद रहती है साहब, यह टीवी और अखबार वाले तो झूठ बोलते हैं

दोस्तों नमस्कार, देखिए हमारी पुलिस पूरी तरह से मुस्तैद रहती है सजग रहती है और सतर्क रहती है। इस पर कोई भी टीका टिप्पणी करना और खामखा कोई आरोप लगाना सरासर गलत और नाजायज व नाइंसाफी है। ... यह टीवी चैनल और अखबार वाले झूठ बोल रहे हैं की हाईवे से गोवंश सप्लाई होता है।... यह जो शाहजहांपुर में हुआ यह आपने सही नहीं पढ़ा... दरअसल वह लोग तो खाली गाड़ी लेकर के जा रहे थे और यह तो जनता है जिसने उस गाड़ी को रोक करके उसमें गोवंश भर दिया और बाद में वाहन चालकों की पिटाई कर दी।... हमारी पुलिस तो मुस्तैद रहती है साहब! नेशनल हाईवे से एक भी ट्रक,  पिकअप या कोई भी वाहन में गोवंश तो क्या कोई भी पशुधन का परिवहन नहीं होने देती। आप लोग खा-म-खा आरोप लगाना बंद कीजिए और पुलिस को अपना काम करने दीजिए। यह जो जनता है जिसने यह मोब लिंचिंग की घटना को अंजाम दिया है उनमें से एक के को ढूंढ ढूंढ कर के निकालेंगे... बहरोड के आस पास के गांव वालों को तो पता होगा शाहजहांपुर वालों को पता लग जाएगा। इसलिए मैं फिर कह रहा हूं आपको आगाह कर रहा हूं ... कि मंगलवार, गुरुवार और शनिवार तो बिल्कुल भी आप हाईवे की किसी गाड़ियों पर नजर मत...

छाछ में मक्खी गिर जाए तो आप छाछ फेंक देते हैं और घी में गिर जाए तो...?

...चलिए पहले बात पूरी करता हूं। छाछ में मक्खी गिर जाए तो आप  मक्खी सहित पूरी छाछ फेंक देते हैं और घी में गिर जाए तो आप  केवल मक्खी निकाल कर फेंक देते हैं।... तब आप घी को नहीं फेंकते। क्यों ? कभी पूछा अपने आप से ! यही तो... मानसिकता है 'स्वार्थ' व 'अर्थ' से भरी। हर व्यक्ति, वस्तु और पद का मूल्यांकन 'आर्थिक' हो गया है। पूरा देश भ्रष्टाचार व रिश्वतखोरी पर उबाल खा रहा है।  सोशल मीडिया, सिनेमा, टीवी,  समाचार पत्र... हर जगह भ्रष्टाचार व रिश्वतखोरी पर बहस हो रही है।  घूस लेते कर्मचारियों के वीडियो  एक-दूसरे के साथ शेयर किए जा रहे हैं। थू थू करते है,  मन भर के गालियां देते हैं।... अच्छी बात है ऐसा होना भी चाहिए। मैं तो यह भी कहता हूं कि घूस लेने वालों का मुंह काला करके उन्हें पूरे शहर घुमाना चाहिए ताकि फिर कोई दूसरा ऐसा करने की हिम्मत ना कर सके। ... लेकिन मेरा मुद्दा यह नहीं है। मैं बात कर रहा हूं 'अपनी ईमानदारी' की। वह कहां गायब हो जाती है जब हमें खुद को कोई काम करवाने के लिए  'घूसखोर' ढूंढना पड़ता है। ध्यान रहे, आप मेरे इस आरोप से बच नहीं सकते। अग...

दक्षिण सूडान में सम्मानित हुई भारत की बेटियां ...कमेंट कर कहो शुक्रिया...

नमस्कार,  ब्लॉगवाणी पर एक बार फिर आपका स्वागत है।  दोस्तों,  दंगल फिल्म का मशहूर डायलॉग मारी छोरियां छोरों से कम है के ...सुना होगा ना आपने ... आपको याद भी होगा... वास्तव में आज हमारी बेटियां किसी मायने में बेटों से कम नहीं है... जीवन के हर क्षेत्र में बेटियां नए-नए कीर्तिमान स्थापित कर रही हैं…. अभी पिछले सप्ताह ही भारत की चार बेटियों को दक्षिणी सूडान में सम्मानित किया गया है …. आपको बता दें कि रीना यादव, गोपीका जागीरदार,  भारती सामंतराय, रागिनी कुमारी और कमल शेखावत... यह सब भारत की बेटियां हैं जो दक्षिणी सूडान में संयुक्त राष्ट्र मिशन के साथ काम कर रही हैं और सभी को संयुक्त राष्ट्र की तरफ से दक्षिणी सूडान में सराहनीय सेवाएं देने के लिए सम्मानित किया गया है... दोस्तों, कहने का अर्थ है कि बेटियों को प्रोत्साहन की जरूरत है। उनमें भी दमखम और प्रतिभा कूट-कूट कर भरी है। जरूरत केवल उनका मनोबल बढ़ाने और प्रोत्साहन देने की है। बेटियों को बेटों के अनुरूप आजादी और प्रोत्साहन मिले तो वह अपनी मनचाही उड़ान भरकर आसमान छूने की हिम्मत रखती हैं। दोस्तों, पिछले दिनों देश...

भैंस सी काया मेरे शहर की ....काहे मचाए कोहराम

खनन और ओवरलोड की समस्या को लेकर   विकास वर्मा की रचना... शानदार।

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