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भैंस सी काया मेरे शहर की ....काहे मचाए कोहराम

खनन और ओवरलोड की समस्या को लेकर 
 विकास वर्मा की रचना... शानदार।

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छाछ में मक्खी गिर जाए तो आप छाछ फेंक देते हैं और घी में गिर जाए तो...?

...चलिए पहले बात पूरी करता हूं। छाछ में मक्खी गिर जाए तो आप  मक्खी सहित पूरी छाछ फेंक देते हैं और घी में गिर जाए तो आप  केवल मक्खी निकाल कर फेंक देते हैं।... तब आप घी को नहीं फेंकते। क्यों ? कभी पूछा अपने आप से ! यही तो... मानसिकता है 'स्वार्थ' व 'अर्थ' से भरी। हर व्यक्ति, वस्तु और पद का मूल्यांकन 'आर्थिक' हो गया है। पूरा देश भ्रष्टाचार व रिश्वतखोरी पर उबाल खा रहा है।  सोशल मीडिया, सिनेमा, टीवी,  समाचार पत्र... हर जगह भ्रष्टाचार व रिश्वतखोरी पर बहस हो रही है।  घूस लेते कर्मचारियों के वीडियो  एक-दूसरे के साथ शेयर किए जा रहे हैं। थू थू करते है,  मन भर के गालियां देते हैं।... अच्छी बात है ऐसा होना भी चाहिए। मैं तो यह भी कहता हूं कि घूस लेने वालों का मुंह काला करके उन्हें पूरे शहर घुमाना चाहिए ताकि फिर कोई दूसरा ऐसा करने की हिम्मत ना कर सके। ... लेकिन मेरा मुद्दा यह नहीं है। मैं बात कर रहा हूं 'अपनी ईमानदारी' की। वह कहां गायब हो जाती है जब हमें खुद को कोई काम करवाने के लिए  'घूसखोर' ढूंढना पड़ता है। ध्यान रहे, आप मेरे इस आरोप से बच नहीं सकते। अग

दिल है कि मानता नहीं !!

- Vikas Verma जी हां, दिल का मामला ही कुछ ऐसा होता है, जिस काम को करने के लिए मना किया जाता है, जब तक उसे कर ना ले, चैन पड़ता ही नहीं है। ‘कहीं लिखा हुआ है कि - दीवार के पार देखना मना हैै।’...तो हम तो देखेगें, नहीं तो दिल को सुकुन नहीं मिलेगा। कहीं लिखा है कि यहां थूकना मना है, तो हम तो थूकेगें, क्योंकि इसी में दिल की रजा़ है, इसी में मजा़ है और इसी में शान है, अभिमान है !! अब देखो ना, ‘सरकार’ कह रही है, सब कह रहे हैं। रेडियो, अखबार, टीवी सब यही कह रहे हैं, कोरोना महामारी है ! मास्क लगाओ, दूरी बनाओ ! पर हम तो ना मास्क लगाएगें, ना हाथों पर सैनेटाईजर लगाएगें और ना सोशल डिस्टेंस बनानी है ! क्यों करें, आखिर मरना तो एक दिन सबको है ! मौत लिखी होगी तो मर जाएगें, नहीं तो क्या करेगा कोरोना !! ...और फिर कोरोना यहां थोड़ी ना है, वो तो वहीं तक है। अगर कोरोना इतना ही खतरनाक होता तो डाॅक्टर, कम्पाउण्डर, पुलिस और ये प्रेस वाले ऐसे ही थोड़ी ना घूमते। इनको भी तो जान प्यारी होगी। ...और फिर जब ये ही नहीं डरते, तो मैं क्यों डरूं ? मेरा दिल इतना कमजोर थोड़ी ना है !! कोटपूतली में मिल रहे लगातार कोरोना

हमारे राज्य पशु पर ऑस्ट्रेलिया में मंडरा रही मौत...?

।। श्रवण सिंह राठौड़ की कलम से।।  हमारे रेगिस्तानी जहाज ऊंट के लिए बहुत ही बुरी खबर हैं। राजस्थान में ऊंट को संरक्षण देने के लिए 2014 से ही राज्य पशु का दर्जा प्राप्त है। उधर आपदा - आग की तबाही झेल रहा ऑस्ट्रेलिया 10 हजार ऊंटों को मारेगा । वजह, पानी की कमी। जल संकट। आदिवासी समुदाय की मांग पर ऊंटों को मारने का काम आज से शुरू हो चुका है। इस खबर ने मुझे अंदर तक हिलाकर रख दिया है। ऊंटों को मारना, पूरी तरह प्रकृति के खिलाफ और अमानवीय है। राजस्थान में भी भारी जल संकट है। ऐसे में पानी की कीमत हमको भी समझने की जरूरत है। ऑस्ट्रेलिया में ऊंटों को गोली मारने के पीछे असली वजह वहां पानी की भारी कमी होना बताया जा रहा है। वहां के आदिवासी समुदाय का कहना है कि जंगली ऊंट हमारे संपत्ति को भी नुकसान पहुंचा रहे और हमारे हिस्से का पानी पी जाते हैं। इस वजह से आदिवासी समुदाय की मांग पर वहां की सरकार ने आनन-फानन में निर्णय लेकर आज बुधवार से हेलीकॉप्टर में बैठे शुटर के जरिए ऊंटों को गोली  मारने के आदेश दिए गए हैं। अभी 10000 ऊंटों को मारा जाएगा। इस खबर से मैं बहुत आहत हूं। ये विकृत मानसिकता है। ऊंटो

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