जिंदगी क्या है ? यह महज एक सवाल नहीं, अपितु एक द्वंद है। जिसके बारे में हर तीसरा व्यक्ति सोचता है। एक गरीब तबके से लेकर करोड़पति तक अपने जीवनकाल में कभी न कभी यह जरूर सोचता है। यह भी सच है कि जिंदगी के विषय में अलग- अलग लोगों की अलग- अलग ही राय होती है, कोई कहता है कि भगवान की देन है इसे हमें नेक कामों में लगाना चाहिए। तो कोई कहता है, यह सब कुदरत का दिया हुआ है। एक गरीब व्यक्ति के लिए तो यह 2 जून की रोटी मिलने का नाम है। तो मध्यम वर्ग के लिए थोड़ा और ऊंचा उठने का नाम। अमीरों के लिए पूरे संसार को मुठ्ठी में करने का नाम है। अर्थात दी हुई अमानत का सभी वर्गों के सोचने और इस पर चलने का अलग अलग नजरिया है।
वास्तव में क्या है जिंदगी, यह किसी को भी नहीं पता, तो दोस्तों आज की ब्लॉगवाणी के संदेश हैं कि जिंदगी एक बेशकीमती चीज है, जिसको सहेजना हमारा फर्ज है। इस संसार में प्रत्येक व्यक्ति का जन्म किसी न किसी कार्य को पूरा करने के लिए हुआ है। और हमें उस कार्य को पूरी तल्लीनता से करना चाहिए। मनुष्य ही नहीं, अपितु संसार के प्रत्येक जीव जंतु का जन्म एक निश्चित लक्ष्य की पूर्ति के लिए हुआ है।
बचपन के किस्से मुझे याद आ जाते हैं जब कभी हम पांचों भाई बहनों में से कोई एक रूठ जाता और खाना नहीं खाता तो पापा बोलते कि देखो बेटा, सब चीजों से रूठो लेकिन खाने से कभी मत रूठो, क्योंकि यही हमारी जिंदगी है। जब मैं छोटी थी तब एक बार मैंने पापा से बोला, आज मैं व्रत रखूंगी, तो पापा ने मुझे खूब समझाया लेकिन मैं नहीं मानी, मैंने व्रत रख लिया। अब मैं सुबह- सुबह उठते ही खाना खाने वाली ज्यादा देर भूखी कैसे रह सकती थी तो पापा ने कहा चलो ठीक है तुम एक दाढ़ का व्रत रख लो एक से खाना खा लेना।...शेष अगली पोस्ट में... आपसे निवेदन है कि ब्लॉग पसंद आ रहा हो तो कमेंट बॉक्स में अपने विचार रखें और ब्लॉग सब्सक्राइब/ Follow करें और शेयर करें ...
वास्तव में क्या है जिंदगी, यह किसी को भी नहीं पता, तो दोस्तों आज की ब्लॉगवाणी के संदेश हैं कि जिंदगी एक बेशकीमती चीज है, जिसको सहेजना हमारा फर्ज है। इस संसार में प्रत्येक व्यक्ति का जन्म किसी न किसी कार्य को पूरा करने के लिए हुआ है। और हमें उस कार्य को पूरी तल्लीनता से करना चाहिए। मनुष्य ही नहीं, अपितु संसार के प्रत्येक जीव जंतु का जन्म एक निश्चित लक्ष्य की पूर्ति के लिए हुआ है।
बचपन के किस्से मुझे याद आ जाते हैं जब कभी हम पांचों भाई बहनों में से कोई एक रूठ जाता और खाना नहीं खाता तो पापा बोलते कि देखो बेटा, सब चीजों से रूठो लेकिन खाने से कभी मत रूठो, क्योंकि यही हमारी जिंदगी है। जब मैं छोटी थी तब एक बार मैंने पापा से बोला, आज मैं व्रत रखूंगी, तो पापा ने मुझे खूब समझाया लेकिन मैं नहीं मानी, मैंने व्रत रख लिया। अब मैं सुबह- सुबह उठते ही खाना खाने वाली ज्यादा देर भूखी कैसे रह सकती थी तो पापा ने कहा चलो ठीक है तुम एक दाढ़ का व्रत रख लो एक से खाना खा लेना।...शेष अगली पोस्ट में... आपसे निवेदन है कि ब्लॉग पसंद आ रहा हो तो कमेंट बॉक्स में अपने विचार रखें और ब्लॉग सब्सक्राइब/ Follow करें और शेयर करें ...
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