नमस्कार, ब्लॉगवाणी पर एक बार फिर आपका स्वागत है। दोस्तों, दंगल फिल्म का मशहूर डायलॉग मारी छोरियां छोरों से कम है के ...सुना होगा ना आपने ... आपको याद भी होगा... वास्तव में आज हमारी बेटियां किसी मायने में बेटों से कम नहीं है... जीवन के हर क्षेत्र में बेटियां नए-नए कीर्तिमान स्थापित कर रही हैं…. अभी पिछले सप्ताह ही भारत की चार बेटियों को दक्षिणी सूडान में सम्मानित किया गया है…. आपको बता दें कि रीना यादव, गोपीका जागीरदार, भारती सामंतराय, रागिनी कुमारी और कमल शेखावत... यह सब भारत की बेटियां हैं जो दक्षिणी सूडान में संयुक्त राष्ट्र मिशन के साथ काम कर रही हैं और सभी को संयुक्त राष्ट्र की तरफ से दक्षिणी सूडान में सराहनीय सेवाएं देने के लिए सम्मानित किया गया है... दोस्तों, कहने का अर्थ है कि बेटियों को प्रोत्साहन की जरूरत है। उनमें भी दमखम और प्रतिभा कूट-कूट कर भरी है। जरूरत केवल उनका मनोबल बढ़ाने और प्रोत्साहन देने की है। बेटियों को बेटों के अनुरूप आजादी और प्रोत्साहन मिले तो वह अपनी मनचाही उड़ान भरकर आसमान छूने की हिम्मत रखती हैं।
दोस्तों, पिछले दिनों देश की चार होनहार बेटियों ने देश का मस्तक विश्व में ऊंचा किया। 24 साल की पुसरला वेंकट सिंधू यानी पीवी सिंधु ने बासेल में बैडमिंटन वर्ल्ड फेडरेशन द्वारा आयोजित विश्व बैडमिंटन चैंपियनशिप में अपने से उच्चतम रैंक की महिला खिलाड़ी को सीधे सेटों में हराकर देश की झोली में एक स्वर्ण पदक डाला। सिंधु ने शानदार ढंग से फाइनल जीता और 2017 में फाइनल में हुई हार का बदला ओकूहारा से लिया। सिंधु ये कारनामा करने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी हैं। मौलिक प्रतिभा की धनी सिंधु की नजर अब अगले ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने के लक्ष्य की ओर है। बैडमिंटन के प्रति उसके जुनून व समर्पण को देखते हुए यह लक्ष्य मुमकिन लगता है।
...और आपको याद होगा, भारत की गोल्डन गर्ल स्टार एथलीट 19 साल की हिमा दास ने बीती जुलाई में 19 दिन के भीतर 5ं गोल्ड मेडल जीतकर सारी दुनिया में देश का सिर ऊंचा किया। हिमा की कहनी भी काफी दिलचस्प है। 18 साल की हिमा असम के छोटे से गांव ढिंग की रहने वाली हैं और एक गरीब किसान परिवार से ताल्लुक रखती हैं। अभाव और तंगहाली के बीच हिमा दास ने ये कारनामा कर दिखाया है। हिमा पहली ऐसी भारतीय महिला बन गई हैं जिसने वर्ल्ड ऐथलेटिक्स चैंपियनशिप ट्रैक में गोल्ड मेडल जीता है। हिमा ने 400 मीटर की रेस 51.46 सेकंड में खत्म करके यह रेकॉर्ड अपने नाम किया। हिमा की सफलताओं को देखते हुए प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति ने भी ट्वीट करके उन्हें बधाई दी। ... तो दोस्तों, इन बेटियों का जोश जुनून और उड़ान देखकर हम कह सकते हैं कि वास्तव में बेटियां बेटों से कम नहीं होती। हमारा और समाज का नजरिया ही कुछ ऐसा है कि हम उन्हेंं कम समझ बैठते हैं। फोगाट बहनों का खूबसूरत उदाहरण हमारे सामने है। जहां पिता की प्रेरणा से चार बहनें आज अंतरराष्ट्रीय फलक पर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर रही हैं। देश की इन बेटियों पर हम सभी देशवासियों को गर्व है। जिन्होंने देशवासियों को खुशी के पल दिये। जश्न मनाने का मौका दिया है। इसके लिए हम उन्हें शुक्रिया कह सकते हैं।
... दोस्तों, आपको मेरे आलेख कैसे लग रहे हैं मुझे प्लीज कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं... ताकि अगर कुछ गलत हो, कोई कमी हो तो मैं उसमें सुधार कर सकूं... ब्लॉग वाणी पर आने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद, आपकी दोस्त, शालू।
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