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संदेश

मोदी जी, संविधान में करो संशोधन ऐसा... कि बलात्कारियों का भी बलात्कार हो जाए

दोस्तों नमस्कार,  ब्लॉगवाणी पर मैं शालू आपका स्वागत करती हूं। दोस्तों, कल रात मैं पुराने अखबारों को एक-एक कर देख रही थी,  छांट रही थी कबाड़ी को रद्दी देने के लिए।  इस दौरान जिस भी दिनांक का अखबार मेरे हाथ में आता गया ....कमोबेश सभी में... 3- 4 खबरें बलात्कार और महिला उत्पीड़न की थी। इनमें से कई खबरें तो अखबार के मेन पेज, व आखिरी पेज पर थी। ... देख- देख कर कलेजा बैठ सा गया।... क्या हो गया है देश को। क्या हैवानियत... दरिंदगी और हवस ही बस गई है मेरे देश के पुरुषों में !?  छी... धिक्कार है... घिन्न आती है मुझे उन लोगों पर भी... जो नारी को 'पूजनीय' बताने की बात करते हैं,  और ऐसी घटनाओं पर उनके मुंह पर डर की पट्टी बंधी रहती है।  वैसे भी नारी कब थी पूजनीय! 'अपनी मां' के चरण स्पर्श कर लेने से नारी पूजनीय सार्थक नहीं हो जाता। ... अखबार समाचार चीख रहे हैं... 6 महीने की मासूम तक को नहीं बख्श रहे हैं दरिंदे... उफ...कहते और बात करते भी कलेजा बैठता हैं। देश के प्रधानमंत्री 'बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ' की बात करते हैं... लेकिन बेटियां ना कोख में बच रही हैं ना देश में।...

जिसने सीखना छोड़ दिया, समझो जीतना छोड़ दिया।... मेरा यह आलेख जरूर पढ़ें... दावा है आपकी दिनचर्या बदल देगा

दोस्तों नमस्कार, मैं शालू वर्मा... ब्लॉगवाणी में आप सभी का स्वागत करती हूं।  दोस्तों, हम प्रतिदिन सुबह उठकर जब अपनी दिनचर्या शुरू करते हैं, तो कुछेक रोजमर्रा के कामों को छोड़कर हमें कुछ नया करना पड़ता है। यानी कि प्रतिदिन हमें कुछ नया सोचने और कुछ नया करने का अवसर मिलता है। हम यह भी कह सकते हैं कि हमारे जीवन का प्रत्येक दिन हमें कुछ नया सिखाने की चेष्टा करता है। ... लेकिन क्यों ? दोस्तों, हमें हर दिन कुछ नया इसीलिए सीखने को मिलता है क्योंकि सीखना ही जीवन है, सीखना ही जीत है।  सीखना ही जीवन का मूल मंत्र है... तभी तो जो सीखता चला गया, वह जीतता चला गया और जिसने सीखना छोड़ दिया... समझो उसने जीतना छोड़ दिया। स्टार महिला बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधु और भारत के लिए स्विट्ज़रलैंड का बासेल शहर तब यादगार और ऐतिहासिक बन गया जब पिछले सप्ताह सिंधु ने विश्व बैडमिंटन चैंपियनशिप का खिताब अपने नाम कर दिया। 5 फुट 10 इंच की सिंधु ने अपनी कामयाबी से बैडमिंटन की दुनिया में अपने कद को आसमानी ऊंचाइयां दे दी। वह इस टूर्नामेंट का खिताब जीतने वाली पहली भारतीय बन गई। ठीक इसी तरह 21 दिन के अंदर चेक गणर...

कोटपूतली की यह बेटी बन गई मुंबई की चहेती, खुद केंद्रीय मंत्री ने वीडियो जारी कर बताई सफलता और संघर्ष की कहानी

नमस्कार दोस्तों, ब्लॉग वाणी में आप सभी का स्वागत है मैं हूं आपकी दोस्त शालू वर्मा। दोस्तों, आज तो यह जानकर बहुत ही खुशी हो रही है कि हमारे कोटपूतली तहसील की एक बेटी जो आज मुंबई की चहेती बन गई है और जिसकी सफलता की कहानी खुद केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी विडियो जारी कर पूरी दुनिया को बता रही हैं। जी हां दोस्तों, मैं बात कर रही हूं निशा की... निशा यादव की। कोटपूतली तहसील के एक छोटे से गांव शुक्लावास में जन्मी इस बेटी का वीडियो जब केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के साथ देखा तो मन खुशी से गदगद हो गया। आपको बता दें कि मुंबई में चल रहे एक रिनाउंड फैशन वीक के मंच से स्मृति ईरानी ने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो पोस्ट शेयर किया है। इस वीडियो में स्मृति ईरानी कह रही हैं कि 'यहां मैं चाहती थी आप सब मिले निशा यादव से... इसकी हाइट है 5 पॉइंट 11 फीट। खास क्या है? सिर्फ एक मॉडल है? आगे स्मृति कहती है कि नहीं, यह जयपुर से लाॅ की पढ़ाई कर रही है। दूसरा साल पूरा किया है और तीसरे साल की पढ़ाई चल रही है और लैक्मे फैशन वीक के प्लेटफार्म पर भी परफॉर्म कर रही है। ... साथ ही केंद्रीय मंत्री ने यह भी संदेश दिय...

मैं बेटी हूं कोई सूरज नहीं जो कोहरे की चादर में दुबक जाऊं...

नमस्कार दोस्तों, ब्लॉग वाणी में आप सभी का स्वागत है मैं हूं आपकी दोस्त शालू वर्मा। सुबह हो चुकी है उठ जाइए। वैसे तो सूरज भी अभी कोहरे की चादर में दुबका हुआ है। पुरुष है ना, देर से उठेगा, आप सब की तरह। देखो ना, यह धरती सुबह 4: 00 बजे से जाग चुकी है। स्त्री है ना, जागना पड़ता है। हम सब स्त्रियों की तरह। दोस्तों, पुरुषों की तरह हमें कोई आवाज देकर नहीं उठाता। ...और ना ही हमें कोई अलार्म लगाना पड़ता है। हमें आवाज देती है ' ममता '। वो  ममता, जो हमारे पशुओं से जुड़ी है। वह ममता, जो हमारे अपने बच्चों से जुड़ी है। वह ममता, जो घर के रिश्तों व परिवार से जुड़ी है। आधे से ज्यादा भारत में हमारी बहनें यानी स्त्रियां महज इसलिए सुबह 4: 00 बजे उठ जाती हैं कि उन्हें अपने पशुओं- गाय ,भैंस, बकरी इत्यादि को चारा डालना होता है, पानी पिलाना होता है, उनका दूध निकालना होता है। फिर चाहे यह मौसम सर्दी, गर्मी, बरसात, कैसा भी क्यों ना हो। ... और दोस्तों, गांव- ढाणियों या फिर जिन घरों में पशु हों वही स्त्रियां जल्दी उठती हैं, ऐसा नहीं है। कस्बों और बड़े शहरों में भी स्त्रियों को तो जल्दी उठना ही पड़त...

गर्व करो ऐ भारतवासी अब अपना भी संविधान है...

नमस्कार दोस्तों, काव्य मंच में आप सभी का स्वागत है। मैं हूं आपकी दोस्त, शालू वर्मा। आप सभी को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। आज बेटे हिरेन्द्र ने गणतंत्र दिवस के अवसर पर काव्य लेखन किया और बहुत ही सुंदर ढंग से काव्य पाठ किया प्रस्तुत है उसी के अंश... आओ दोस्तों, तुम्हें सुनाऊं कहानी हिंदुस्तान की,  कैसे मिली आजादी हमको, कैसे रचना हुई संविधान की, सन 47 से पहले विधान अंग्रेजों का ही चलता था, रोटी, कपड़ा और मकान मांगने पर चाबुक उनका चलता था, सत्याग्रह बापू का देख, अंग्रेजों का सिंहासन डोला उठा, लाठीचार्ज हुआ लाला पर,  तो आजाद, भगत सिंह का खून खौल उठा, वीर सपूतों की कुर्बानी ने आजादी की अलख जगाई थी, तब जाकर सन 47 में हमने अपनी आजादी पाई थी, इस धरा का इस धरती का जैसे एक विधान है, गर्व करो ऐ भारतवासी अब  अपना भी एक संविधान है, बाबा साहेब अंबेडकर ने  दुनिया के संविधानों को खंगाला, और 2 साल 11 महीने 18 दिन में संविधान बना डाला, आओ दोस्तों तुम्हें सुनाऊं कहानी हिंदुस्तान की कैसे मिली आजादी हम को  कैसे रचना हुई संविधान की...

दुल्हन जब किसी घर की दहलीज में प्रवेश करती है...

याद रखिए शादी के बाद लड़कियों को अपना पीहर छोड़कर ससुराल में रचना बसना होता है, सो लड़कों से ज्यादा जिंदगी उनकी बदलती है। दोस्तों, ब्लॉगवाणी में  आप सभी का स्वागत है। मैं हूं आपकी दोस्त शालू वर्मा। दोस्तों, शादी विवाह का सीजन है, रस्मों रिवाजों का महीना है, तो आइए आज बात कर लेते हैं दुल्हन की। उस दुल्हन की जो पूरे आयोजन की धुरी होती है। उस दुल्हन की जिसकी तस्वीर दीप की लौ से मिलती-जुलती है। जैसे मंदिर में दीप रखा जाता है, वैसे ही घर में दुल्हन आती है। मंदिर सजा हो तो दीप से रोनक दोगुनी हो जाती है‌। वाकई हैरानी की बात है लेकिन सच है शादी का वास्ता केवल दुल्हन से ही जोड़ कर देखा जाता है। शादी केवल एक आयोजन है जिसमें ढेर सारे लोग शामिल होते हैं दुल्हन की अपनी रीत होती है बहुत सारे कार्यक्रम, रश्में और धूम होती है, लेकिन जिनमें दुल्हन शामिल हो। दिलचस्प केवल उन्हें ही माना जाता है या यूं कहें कि जिक्र केवल उन्हीं का होता है। जिक्र होता भी केवल दुल्हन का ही है, दूल्हे को लड़का कहकर बुलाया जाता है और लड़के का व्यक्तित्व बहुत हद तक उसकी नौकरी से और कुछ हद तक उसके रूप से आंक लिया...

कमरा नंबर 39... हास्य मनोरंजक लेख। जरूर पढ़ें।

एक पंडित एक होटल में जाता है। और वहां पर मैनेजर को बुलाता है, और कहता है कि "क्या रूमनंबर 39 खाली है ? मैनेजर:- हां वो खाली है आप वो रूम ले सकते हैं...। पंडित:- ठीक है मुझे वो रूम दे दो, और  मुझे एक चाकू, एक 3 इंच का काला धागा और एक 79 ग्राम का संतरा भी दे दो...। मैनेजर:- ठीक है...और हां मेरा कमरा आपके कमरे के ठीक सामने है। अगर आपको कोई दिक्कत होती है तो तुम मुझे आवाज दे देना...। पंडित:- ठीक है... रात को......पंडित के कमरे से तेजी से चिखने चिल्लाने की  और प्लेटों के टूटने की आवाज आने लगती हैं। इन आवाजों के कारण मैनेजर सो भी नही पाता। ....और वो रात भर इस ख्याल से बैचेन होने लगता है, कि आखिर उस कमरे में हो क्या रहा है? अगली सुबह....... जैसे ही मैनेजर पंडित के कमरे में जाता है, वहाँ पर उसे पता चलता है कि पंडित होटल से चला गया है। ...और कमरे में सब कुछ वैसे का वैसा ही है।...और टेबल पर चाकू रखा हुआ है। मैनेजर ये सोचने लगता है कि जो उसने सुना कहीं उसका मात्र वहम तो नही था।...और ऐसे ही एक साल बीत जाता है। एक साल बाद........ वही पंडित फिर से...

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