जिसने सीखना छोड़ दिया, समझो जीतना छोड़ दिया।... मेरा यह आलेख जरूर पढ़ें... दावा है आपकी दिनचर्या बदल देगा
दोस्तों नमस्कार, मैं शालू वर्मा... ब्लॉगवाणी में आप सभी का स्वागत करती हूं। दोस्तों, हम प्रतिदिन सुबह उठकर जब अपनी दिनचर्या शुरू करते हैं, तो कुछेक रोजमर्रा के कामों को छोड़कर हमें कुछ नया करना पड़ता है। यानी कि प्रतिदिन हमें कुछ नया सोचने और कुछ नया करने का अवसर मिलता है। हम यह भी कह सकते हैं कि हमारे जीवन का प्रत्येक दिन हमें कुछ नया सिखाने की चेष्टा करता है। ... लेकिन क्यों ?
दोस्तों, हमें हर दिन कुछ नया इसीलिए सीखने को मिलता है क्योंकि सीखना ही जीवन है, सीखना ही जीत है। सीखना ही जीवन का मूल मंत्र है... तभी तो जो सीखता चला गया, वह जीतता चला गया और जिसने सीखना छोड़ दिया... समझो उसने जीतना छोड़ दिया। स्टार महिला बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधु और भारत के लिए स्विट्ज़रलैंड का बासेल शहर तब यादगार और ऐतिहासिक बन गया जब पिछले सप्ताह सिंधु ने विश्व बैडमिंटन चैंपियनशिप का खिताब अपने नाम कर दिया। 5 फुट 10 इंच की सिंधु ने अपनी कामयाबी से बैडमिंटन की दुनिया में अपने कद को आसमानी ऊंचाइयां दे दी। वह इस टूर्नामेंट का खिताब जीतने वाली पहली भारतीय बन गई। ठीक इसी तरह 21 दिन के अंदर चेक गणराज्य में छह स्वर्ण पदक जीतकर जो कारनामा हिमा दास ने कर दिखाया इतिहास बन गया। महज 18 वर्ष की हिमा दास ने 400 मीटर की दौड़ में 51 पॉइंट 40 सेकंड का समय निकालकर स्वर्ण पदक जीता और वह यह उपलब्धि हासिल करने वाली पहली भारतीय महिला एथलीट बन गई। ... और अब आपको यह जानकर और खुशी होगी कि खबर है कि आज राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद विश्व के नंबर एक पहलवान बजरंग पूनिया और रियो पैरालंपिक की रजत पदक विजेता पैरा एथलीट दीपा मलिक को गुरुवार को राष्ट्रपति भवन में एक समारोह में देश के सर्वोच्च खेल सम्मान राजीव गांधी खेल रत्न प्रदान करेंगे, जबकि क्रिकेटर रविंद्र जडेजा सहित 19 खिलाड़ियों को प्रतिष्ठित अर्जुन पुरस्कार से नवाजा जाएगा।
दोस्तों , यह सब अचानक तो नहीं हुआ होगा ना। यकीनन इससे पहले इन्होंने हर दिन छोटे छोटे लक्ष्य बनाकर उस पर जीत हासिल करनी शुरू की होगी और तब कहीं आज ये इस पद और मुकाम पर पहुंचे होंगें।
दोस्तों, सफल व्यक्तियों की जीवनियां हमारे लिए उदाहरण होती हैं... प्रेरणा लेने के लिए, उनसे सीखने के लिए। लेकिन होता यह है कि हम सफल व्यक्तियों की जीवनी और कहानियां पढ़ तो लेते हैं, लेकिन उन्हें अपने जीवन में लागू नहीं करते हैं। हमें सफल व्यक्तियों की कहानियां पढ़ना अच्छा लगता है... लेकिन हम अपनी दिनचर्या को उसी ढर्रे पर चलने देते हैं जिस पर वह चलती आ रही है। जबकि प्रतिभा, टैलेंट, गुण हम सब में छुपा हुआ है।... देरी तभी तक है, जब तक हम उसकी शुरुआत नहीं करते। मैं खुद इसका उदाहरण हूं। मुझे भी ना इतना लिखना आता था, ना मैं इतना सोचती थी। लेकिन जब से मैंने प्रतिदिन पढ़ना शुरू किया है, पढ़ने की आदत डाली है, तब से मुझे लगता है मैं एक्टिव हो गई हूं। और अब मुझे लगता है कि मुझे अपने अनुभव आप सब से साझा करने चाहिए। ... आपके मन में कोई जिज्ञासा हो तो आप मुझे कमेंट बॉक्स में लिख सकते हैं मैं उसका जवाब जरूर दूंगी। .. ... उम्मीद है आज से ही आप अपने जीवन के प्रत्येक दिन से कुछ ना कुछ सीखने की चेष्टा जरूर करेंगे। .... पेज छोड़ने से पहले ब्लॉगवाणी को सब्सक्राइब जरूर कर लीजिएगा ताकि कल मेरा आलेख आपको तुरंत मिल सके। ... तो दोस्तों, मिलते हैं कल एक नई जानकारी के साथ, अभी दीजिए अपनी दोस्त शालू वर्मा को इजाजत... नमस्कार।
दोस्तों, हमें हर दिन कुछ नया इसीलिए सीखने को मिलता है क्योंकि सीखना ही जीवन है, सीखना ही जीत है। सीखना ही जीवन का मूल मंत्र है... तभी तो जो सीखता चला गया, वह जीतता चला गया और जिसने सीखना छोड़ दिया... समझो उसने जीतना छोड़ दिया। स्टार महिला बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधु और भारत के लिए स्विट्ज़रलैंड का बासेल शहर तब यादगार और ऐतिहासिक बन गया जब पिछले सप्ताह सिंधु ने विश्व बैडमिंटन चैंपियनशिप का खिताब अपने नाम कर दिया। 5 फुट 10 इंच की सिंधु ने अपनी कामयाबी से बैडमिंटन की दुनिया में अपने कद को आसमानी ऊंचाइयां दे दी। वह इस टूर्नामेंट का खिताब जीतने वाली पहली भारतीय बन गई। ठीक इसी तरह 21 दिन के अंदर चेक गणराज्य में छह स्वर्ण पदक जीतकर जो कारनामा हिमा दास ने कर दिखाया इतिहास बन गया। महज 18 वर्ष की हिमा दास ने 400 मीटर की दौड़ में 51 पॉइंट 40 सेकंड का समय निकालकर स्वर्ण पदक जीता और वह यह उपलब्धि हासिल करने वाली पहली भारतीय महिला एथलीट बन गई। ... और अब आपको यह जानकर और खुशी होगी कि खबर है कि आज राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद विश्व के नंबर एक पहलवान बजरंग पूनिया और रियो पैरालंपिक की रजत पदक विजेता पैरा एथलीट दीपा मलिक को गुरुवार को राष्ट्रपति भवन में एक समारोह में देश के सर्वोच्च खेल सम्मान राजीव गांधी खेल रत्न प्रदान करेंगे, जबकि क्रिकेटर रविंद्र जडेजा सहित 19 खिलाड़ियों को प्रतिष्ठित अर्जुन पुरस्कार से नवाजा जाएगा।
दोस्तों , यह सब अचानक तो नहीं हुआ होगा ना। यकीनन इससे पहले इन्होंने हर दिन छोटे छोटे लक्ष्य बनाकर उस पर जीत हासिल करनी शुरू की होगी और तब कहीं आज ये इस पद और मुकाम पर पहुंचे होंगें।
दोस्तों, सफल व्यक्तियों की जीवनियां हमारे लिए उदाहरण होती हैं... प्रेरणा लेने के लिए, उनसे सीखने के लिए। लेकिन होता यह है कि हम सफल व्यक्तियों की जीवनी और कहानियां पढ़ तो लेते हैं, लेकिन उन्हें अपने जीवन में लागू नहीं करते हैं। हमें सफल व्यक्तियों की कहानियां पढ़ना अच्छा लगता है... लेकिन हम अपनी दिनचर्या को उसी ढर्रे पर चलने देते हैं जिस पर वह चलती आ रही है। जबकि प्रतिभा, टैलेंट, गुण हम सब में छुपा हुआ है।... देरी तभी तक है, जब तक हम उसकी शुरुआत नहीं करते। मैं खुद इसका उदाहरण हूं। मुझे भी ना इतना लिखना आता था, ना मैं इतना सोचती थी। लेकिन जब से मैंने प्रतिदिन पढ़ना शुरू किया है, पढ़ने की आदत डाली है, तब से मुझे लगता है मैं एक्टिव हो गई हूं। और अब मुझे लगता है कि मुझे अपने अनुभव आप सब से साझा करने चाहिए। ... आपके मन में कोई जिज्ञासा हो तो आप मुझे कमेंट बॉक्स में लिख सकते हैं मैं उसका जवाब जरूर दूंगी। .. ... उम्मीद है आज से ही आप अपने जीवन के प्रत्येक दिन से कुछ ना कुछ सीखने की चेष्टा जरूर करेंगे। .... पेज छोड़ने से पहले ब्लॉगवाणी को सब्सक्राइब जरूर कर लीजिएगा ताकि कल मेरा आलेख आपको तुरंत मिल सके। ... तो दोस्तों, मिलते हैं कल एक नई जानकारी के साथ, अभी दीजिए अपनी दोस्त शालू वर्मा को इजाजत... नमस्कार।
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