दोस्तों नमस्कार, ब्लॉगवाणी पर मैं शालू आपका स्वागत करती हूं। दोस्तों, कल रात मैं पुराने अखबारों को एक-एक कर देख रही थी, छांट रही थी कबाड़ी को रद्दी देने के लिए। इस दौरान जिस भी दिनांक का अखबार मेरे हाथ में आता गया ....कमोबेश सभी में... 3- 4 खबरें बलात्कार और महिला उत्पीड़न की थी। इनमें से कई खबरें तो अखबार के मेन पेज, व आखिरी पेज पर थी। ... देख- देख कर कलेजा बैठ सा गया।... क्या हो गया है देश को। क्या हैवानियत... दरिंदगी और हवस ही बस गई है मेरे देश के पुरुषों में !? छी... धिक्कार है... घिन्न आती है मुझे उन लोगों पर भी... जो नारी को 'पूजनीय' बताने की बात करते हैं, और ऐसी घटनाओं पर उनके मुंह पर डर की पट्टी बंधी रहती है।
वैसे भी नारी कब थी पूजनीय! 'अपनी मां' के चरण स्पर्श कर लेने से नारी पूजनीय सार्थक नहीं हो जाता। ... अखबार समाचार चीख रहे हैं... 6 महीने की मासूम तक को नहीं बख्श रहे हैं दरिंदे... उफ...कहते और बात करते भी कलेजा बैठता हैं।
देश के प्रधानमंत्री 'बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ' की बात करते हैं... लेकिन बेटियां ना कोख में बच रही हैं ना देश में। याद होगा आपको दिल्ली का 'निर्भया कांड'। खूब मोमबत्तियां जलाई थी और खूब कसमें खाई थी... बहन बेटियों को सम्मान दिलाने के लिए। लेकिन हो क्या रहा है... घर, स्कूल, आश्रम, मंदिर... ऐसी कोई जगह नहीं जो सुरक्षित रह गई हो। यहां तक कि चलती बस, अॉटो, ट्रेन... सब हैवानियत और दरिंदगी की गवाह बनती जा रही हैं।
अब तो बस देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी से एक ही अपील है...
कि मोदी जी, नारी सम्मान में ऐसा उपहार हो जाए
बलात्कारियों का भी बलात्कार हो जाए
करो संविधान में कोई संशोधन ऐसा
कि पीड़िता को मिले हक... सजा देने का
दुष्कर्मी के अंग भंग करने की...
पीड़िता हकदार हो जाए
करो संविधान में कोई संशोधन ऐसा
बलात्कारियों का भी बलात्कार हो जाए।
दोस्तों, मेरे यह लेख केवल लेख नहीं है पीड़ा है... इसलिए आपसे करबद्ध निवेदन है कि इसे केवल पढ़े ही नहीं बल्कि, इसे इतना शेयर करें अपने सभी WhatsApp व फेसबुक ग्रुप्स में कि यह पीड़ा देश के संविधान निर्माताओं, योजनाकारों और देश की संसद में बैठे देश के कर्णधारों तक पहुंचे।... बाकी आज के लेख में मैं कुछ नहीं कहना चाहती... मन दुखी है.... अगले अंक में एक नए विषय के साथ आपसे फिर मिलूंगी.... इंतजार कीजिएगा ....नमस्कार।
वैसे भी नारी कब थी पूजनीय! 'अपनी मां' के चरण स्पर्श कर लेने से नारी पूजनीय सार्थक नहीं हो जाता। ... अखबार समाचार चीख रहे हैं... 6 महीने की मासूम तक को नहीं बख्श रहे हैं दरिंदे... उफ...कहते और बात करते भी कलेजा बैठता हैं।
देश के प्रधानमंत्री 'बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ' की बात करते हैं... लेकिन बेटियां ना कोख में बच रही हैं ना देश में। याद होगा आपको दिल्ली का 'निर्भया कांड'। खूब मोमबत्तियां जलाई थी और खूब कसमें खाई थी... बहन बेटियों को सम्मान दिलाने के लिए। लेकिन हो क्या रहा है... घर, स्कूल, आश्रम, मंदिर... ऐसी कोई जगह नहीं जो सुरक्षित रह गई हो। यहां तक कि चलती बस, अॉटो, ट्रेन... सब हैवानियत और दरिंदगी की गवाह बनती जा रही हैं।
अब तो बस देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी से एक ही अपील है...
कि मोदी जी, नारी सम्मान में ऐसा उपहार हो जाए
बलात्कारियों का भी बलात्कार हो जाए
करो संविधान में कोई संशोधन ऐसा
कि पीड़िता को मिले हक... सजा देने का
दुष्कर्मी के अंग भंग करने की...
पीड़िता हकदार हो जाए
करो संविधान में कोई संशोधन ऐसा
बलात्कारियों का भी बलात्कार हो जाए।
दोस्तों, मेरे यह लेख केवल लेख नहीं है पीड़ा है... इसलिए आपसे करबद्ध निवेदन है कि इसे केवल पढ़े ही नहीं बल्कि, इसे इतना शेयर करें अपने सभी WhatsApp व फेसबुक ग्रुप्स में कि यह पीड़ा देश के संविधान निर्माताओं, योजनाकारों और देश की संसद में बैठे देश के कर्णधारों तक पहुंचे।... बाकी आज के लेख में मैं कुछ नहीं कहना चाहती... मन दुखी है.... अगले अंक में एक नए विषय के साथ आपसे फिर मिलूंगी.... इंतजार कीजिएगा ....नमस्कार।
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