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कोटपूतली की यह बेटी बन गई मुंबई की चहेती, खुद केंद्रीय मंत्री ने वीडियो जारी कर बताई सफलता और संघर्ष की कहानी

नमस्कार दोस्तों, ब्लॉग वाणी में आप सभी का स्वागत है मैं हूं आपकी दोस्त शालू वर्मा। दोस्तों, आज तो यह जानकर बहुत ही खुशी हो रही है कि हमारे कोटपूतली तहसील की एक बेटी जो आज मुंबई की चहेती बन गई है और जिसकी सफलता की कहानी खुद केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी विडियो जारी कर पूरी दुनिया को बता रही हैं।

जी हां दोस्तों, मैं बात कर रही हूं निशा की... निशा यादव की। कोटपूतली तहसील के एक छोटे से गांव शुक्लावास में जन्मी इस बेटी का वीडियो जब केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के साथ देखा तो मन खुशी से गदगद हो गया। आपको बता दें कि मुंबई में चल रहे एक रिनाउंड फैशन वीक के मंच से स्मृति ईरानी ने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो पोस्ट शेयर किया है। इस वीडियो में स्मृति ईरानी कह रही हैं कि 'यहां मैं चाहती थी आप सब मिले निशा यादव से... इसकी हाइट है 5 पॉइंट 11 फीट। खास क्या है? सिर्फ एक मॉडल है? आगे स्मृति कहती है कि नहीं, यह जयपुर से लाॅ की पढ़ाई कर रही है। दूसरा साल पूरा किया है और तीसरे साल की पढ़ाई चल रही है और लैक्मे फैशन वीक के प्लेटफार्म पर भी परफॉर्म कर रही है। ... साथ ही केंद्रीय मंत्री ने यह भी संदेश दिया कि पहले पढ़ाई इसके बाद बेटियों की शादी के बारे में सोचना चाहिए और बालिग होने के बाद जब उनकी इच्छा हो तब परिजनों को उनकी शादी करनी चाहिए।
सच में जब मंत्री जी के मुंह से यह बात कोटपूतली की बेटियों ने सुनी होगी तो उन्हें भी गर्व हुआ होगा। लेकिन दोस्तों, जब निशा ने जब यह बोला कि मेरे पापा मॉडलिंग के खिलाफ थे और मेरी शादी करना चाहते थे। लेकिन मैंने अपने सपनों का पीछा नहीं छोड़ा। इसके चलते पापा ने घर से निकाल दिया।... दोस्तों, निशा ने जो आगे कहा वह बताने से पहले ' मैं निशा के इशारे की ओर आपका ध्यान आकर्षित करना चाहूंगी जो उसने सबको बताया कि हम बेटियां आज भी बंदिशों की बेडियों में जकड़ी हुई हैं... अगर हमें भी उड़ान भरने का मौका मिले तो आसमान छू सकती हैं। खैर... निशा ने आगे सब को यह बताया कि आज सब कुछ ठीक है, पापा को भी हम सभी बहनों पर गर्व है।
निशा ने बताया कि वह पांच बहने हैं जिनमें एक बहन आईएएस, एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर, एक पुलिस ऑफिसर और एक एजुकेशन फील्ड से जुड़ी है।
दोस्तों, निशा ने बताया कि पिता ने सभी बहनों को पूरी आजादी दी है। गांव में समाज के लोग इसके खिलाफ थे, लेकिन उन्होंने किसी की परवाह नहीं की और हम सभी बहनों को पढ़ाया लिखाया और पूरी आजादी दी जिसका परिणाम है कि हम सभी बहने आज अच्छे मुकाम तक पहुंचे हैं। मेरी एक बहन आईएएस है। निशा बताती है कि पिता ने जब हमें काम की आजादी दी तो गांव वालों ने इसका विरोध किया लेकिन उन्होंने किसी की परवाह नहीं की और सबका विरोध झेलते हुए हमें काबिल बनाया। यदि सभी पिता अपनी बेटियों को हमारी तरह आजादी दें तो वे जीवन में सफलता की ऊंचाइयां छू सकती हैं।
और हां दोस्तों, मैं भी तो आप सब से यही कहती हूं बेटियों के लिए आसमान खोल दीजिए और फिर देखिए उनकी उड़ान... बाकी अगले अंक में... बस आपसे एक गुजारिश... अगर ब्लॉग अच्छा लग रहा हो तो इसे केवल पढ़ें ही नहीं, दूसरों तक पहुंचाएं ...इसे शेयर करें ...जितना ज्यादा हो सके... जय हिंद जय भारत...

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