दोस्तों नमस्कार, जरा गौर से देखिए अखबार की यह एक तस्वीर क्या कुछ कहती है। क्या सिर्फ इतना कि राजस्थान के 61 थानों में महिला पुलिसकर्मी नहीं है? ... नहीं दोस्तों, यह तस्वीर इससे भी आगे कुछ बता रही है। यह तस्वीर या तो यह बता रही है कि राजस्थान में बेटियां पैदा ही नहीं हो रही है... या फिर यह तस्वीर यह बता रही है कि राजस्थान में बेटियों को समुचित शिक्षा उपलब्ध नहीं हो पा रही है। या फिर राजस्थान की बेटियों पर बंदीशें हैं कि वे सरकारी नौकरी नहीं कर सकती, खासकर पुलिस की ? या फिर इन सब से अलग यह तस्वीर यह कहती है कि राजस्थान में महिला थानों की जरूरत ही नहीं है यहां की बहू बेटियां पूर्णत सुरक्षित हैं।
... अब आप भी बताइए आपको क्या लगता है। क्या नारी उत्थान की बात करने या बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा लगा देने मात्र से ' नारी सशक्तिकरण' पूर्ण हो जाता है !
यह तस्वीर और आंकड़े हमें बता रहे हैं कि महिलाओं के साथ घरेलू हिंसा, दहेज उत्पीड़न और छेड़छाड़, बलात्कार जैसे संपूर्ण मामलों की जांच पुरुषों के हाथ में है, सवाल है क्यों ?
... आपके पास अगर सवालों का जवाब हो तो कमेंट बॉक्स में जरूर बताइएगा... इंतजार रहेगा... नमस्कार।
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यह तस्वीर और आंकड़े हमें बता रहे हैं कि महिलाओं के साथ घरेलू हिंसा, दहेज उत्पीड़न और छेड़छाड़, बलात्कार जैसे संपूर्ण मामलों की जांच पुरुषों के हाथ में है, सवाल है क्यों ?
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good newa
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