सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

#जीवन आनन्द: अतीत अवसाद बढ़ाता है और वर्तमान अवसर पैदा करता है

Vikas Kumar Verma

 नमस्कार दोस्तों, ब्लाॅगवाणी पर #जीवन_आनन्द काॅलम में आप सभी का स्वागत है। मैं हूं आपके साथ विकास वर्मा। दोस्तों, जीवन में जब अतीत के पन्ने पलटे जाते हैं तो प्रेम कम और अवसाद ज्यादा पनपता है। यानी कि कई बार हम 8-10 साल पुरानी यादों की गठरी ढ़ोते रहते हैं, इस उम्मीद के साथ कि सामने वाले के अंहकार पर एक दिन जरूर चोट पहुंचेगी। लेकिन असल में हम अपने ही अंहकार को ढ़ो रहे होते हैं। क्योंकि असल में तो वर्तमान में जीने का नाम ही जिंदगी हैं, क्योंकि अतीत अवसाद बढ़ाता है और वर्तमान अवसर पैदा करता है। आईए, आज ब्लागवाणी के जीवन आनन्द के इस अंक में अतीत कि किताब को बंदकर आज की रोशनी में अवसर की राह तलाशें...

दोस्तों, जीवन में जब अवसाद पनपनता है तो मन टूटने लगता है, अंधेरे कमरे में बैठना और एकांत अच्छा लगने लगता हैं। क्योंकि हम भूल जाते हैं कि जीवन केवल पेड़ नहीं है. जीवन गहरी छाया भी है. पेड़, जितना अपने लिए है, उतना ही दूसरे के लिए! हमारे सुख-दुख आपस में मिले हुए हैं. इनको अलग करते ही संकट बढ़ता है! जबकि इसे समझते ही सारे संकट आसानी से छोटे होते जाते हैं. सुलझते जाते हैं. लेकिन हम और हमारा मन ऐसा नहीं कर पाता। वह तो बस घुटता रहता हैं, अंदर ही अंदर।...तो आईए जिंदगी के इसी अवसाद या अकेलेपन को हम दूर करने की कौशिश करें. अपने आप को समझने की कौशिश करें...


दोस्तों, आज से दस बरस पहले दो लोगों के बीच जो कुछ भी हुआ हो उसे हमेशा आज की नजर से देखने पर दुख ही मिलेगा. हमारा किसी के साथ कोई भी रिश्ता क्यों ना हों, समय के साथ एक-दूसरे को समझने की हमें अवश्य समझ होनी चाहिए। ऐसे में बीते समय में क्या हुआ, उस पर हमारा दृष्टिकोण कैसा रहा, केवल इन बातों को ही दोहराना जीवन के पांव को जंजीरों से बांधने जैसा होकर रह जाएगा.

'कॉकरोच' से डरती 'जिंदगी'

इसलिए याद रखिए कि सुख- दुख तो जीवन में आते रहते हैं। इन्हें गांठ बांधकर मन में बिठाना ठीक नहीं, इसलिए चिंतन करें, मनन करें, और अपने आपको समझने की कौशिश करें। हमारे सुख-चैन में हमारी जीवनशैली की भूमिका कहीं अधिक महत्वपूर्ण होती है, इसीलिए जीवन शैली परिवर्तित करें, जीवन नहीं। याद रखिए, प्रसन्नता और आनंद का नाम ही जीवन है। इसी के साथ #ब्लागवाणी के जीवन आनन्द के आज के अंक में बस इतना ही, अगले अंक में एक नए विषय के साथ आपसे फिर मुलाकात होगी, तब तक के लिए.. विकास वर्मा को दीजिए इजाजत, नमस्कार।

चल प्यार करें... चैटिंग से सिर्फ सैटिंग होती है, प्यार नहीं। क्योंकि प्यार में फीलिंग होती है, इमोसंस होते हैं, दर्द होता है, चाहत होती है। ...और प्यार दिल से होता है !!




टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

छाछ में मक्खी गिर जाए तो आप छाछ फेंक देते हैं और घी में गिर जाए तो...?

...चलिए पहले बात पूरी करता हूं। छाछ में मक्खी गिर जाए तो आप  मक्खी सहित पूरी छाछ फेंक देते हैं और घी में गिर जाए तो आप  केवल मक्खी निकाल कर फेंक देते हैं।... तब आप घी को नहीं फेंकते। क्यों ? कभी पूछा अपने आप से ! यही तो... मानसिकता है 'स्वार्थ' व 'अर्थ' से भरी। हर व्यक्ति, वस्तु और पद का मूल्यांकन 'आर्थिक' हो गया है। पूरा देश भ्रष्टाचार व रिश्वतखोरी पर उबाल खा रहा है।  सोशल मीडिया, सिनेमा, टीवी,  समाचार पत्र... हर जगह भ्रष्टाचार व रिश्वतखोरी पर बहस हो रही है।  घूस लेते कर्मचारियों के वीडियो  एक-दूसरे के साथ शेयर किए जा रहे हैं। थू थू करते है,  मन भर के गालियां देते हैं।... अच्छी बात है ऐसा होना भी चाहिए। मैं तो यह भी कहता हूं कि घूस लेने वालों का मुंह काला करके उन्हें पूरे शहर घुमाना चाहिए ताकि फिर कोई दूसरा ऐसा करने की हिम्मत ना कर सके। ... लेकिन मेरा मुद्दा यह नहीं है। मैं बात कर रहा हूं 'अपनी ईमानदारी' की। वह कहां गायब हो जाती है जब हमें खुद को कोई काम करवाने के लिए  'घूसखोर' ढूंढना पड़ता है। ध्यान रहे, आप मेरे इस आरोप से बच नहीं सकते। अग...

दिल है कि मानता नहीं !!

- Vikas Verma जी हां, दिल का मामला ही कुछ ऐसा होता है, जिस काम को करने के लिए मना किया जाता है, जब तक उसे कर ना ले, चैन पड़ता ही नहीं है। ‘कहीं लिखा हुआ है कि - दीवार के पार देखना मना हैै।’...तो हम तो देखेगें, नहीं तो दिल को सुकुन नहीं मिलेगा। कहीं लिखा है कि यहां थूकना मना है, तो हम तो थूकेगें, क्योंकि इसी में दिल की रजा़ है, इसी में मजा़ है और इसी में शान है, अभिमान है !! अब देखो ना, ‘सरकार’ कह रही है, सब कह रहे हैं। रेडियो, अखबार, टीवी सब यही कह रहे हैं, कोरोना महामारी है ! मास्क लगाओ, दूरी बनाओ ! पर हम तो ना मास्क लगाएगें, ना हाथों पर सैनेटाईजर लगाएगें और ना सोशल डिस्टेंस बनानी है ! क्यों करें, आखिर मरना तो एक दिन सबको है ! मौत लिखी होगी तो मर जाएगें, नहीं तो क्या करेगा कोरोना !! ...और फिर कोरोना यहां थोड़ी ना है, वो तो वहीं तक है। अगर कोरोना इतना ही खतरनाक होता तो डाॅक्टर, कम्पाउण्डर, पुलिस और ये प्रेस वाले ऐसे ही थोड़ी ना घूमते। इनको भी तो जान प्यारी होगी। ...और फिर जब ये ही नहीं डरते, तो मैं क्यों डरूं ? मेरा दिल इतना कमजोर थोड़ी ना है !! कोटपूतली में मिल रहे लगातार कोरोना...

आपके सामने से एक लड़की आ रही है, सुंदर सी... तो आप क्या करोगे ?

...चलिए एनआरसी और एनपीआर के सवाल पर तो आपने जवाब दे दिया...उम्मीद भी इतनी ही थी आपसे। जानता हूं, डरते हो आप कुछ लिखते! आज ही कुछेक जानकारों ने फोन कर पूछा है कि सवाल के जवाब में कुछ लिखे तो सरकार उठा तो नहीं ले जाएगी।...अब बताईए भला ...जवाब नहीं, आपने तो क्रांति लिख दी। चलिए छोड़िए, अब यह बताईए... आप कहीं जा रहे हैं और आपके सामने से एक  लड़की  आ रही है, सुंदर सी... तो आप क्या करोगे ? (चलिए मुझे पता है आप कुछ नहीं बताओगे। इसलिए आपके मन की बात भी मैं ही बता देता हूं।) आपकी उस पर नजर जाएगी। ...और एक बार नहीं, बार-बार जाएगी। जब तक वह आपकी नजरों से ओझल नहीं हो जाए, जब तक जाएगी। ...और जब वह आपको क्रास कर निकल जाएगी, तब भी आप बार-बार पलटकर उसे देखते रहोगे। ( अब बताइए, सही लिखा कि नहीं मैंने, गलत लिखा हो तो नीचे कमेंट बाॅक्स है, इस्तेमाल कर लेना।) चलिए ये बताइए कि अब वह लड़की आपको कब तक याद रहेगी।  (यह भी मैं ही बता देता हूं) पहली बात तो यह कि वह लड़की तब तक ही आपको याद रहेगी, जब तक कि वह आपकी आंखों से ओझल नहीं हो जाती। और अधिकतम आप एक दो दिन उसे सपनों मे...

कृपया फोलो/ Follow करें।

कुल पेज दृश्य