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लैपटॉप खरीदते समय आप किन जरूरी बातों का ध्यान रखें ...

नमस्कार दोस्तों मैं हूं आपकी दोस्त शालू वर्मा, ब्लॉगवाणी में आपका स्वागत है । दोस्तों, आजकल की डिजिटल दुनिया में स्मार्टफोन के अलावा लैपटॉप लोगों की रोजमर्रा की जरूरत बन गई है, चाहे कॉलेज के प्रोजेक्ट हो या बिजनेस या ऑफिस के काम, हर जगह लैपटॉप का इस्तेमाल होने लगा है। दोस्तों अब अगर लैपटॉप आपके मन के मुताबिक परफॉर्म नहीं करता है तो यह आपके लिए परेशानी का सबब बन जाता है। और यह इसलिए होता है कि लैपटॉप खरीदते समय अक्सर हम कुछ बातों का ध्यान नहीं रख पाते हैं। जिसका खामियाजा हमें बाद में उठाना पड़ता है। आज मैं आपको बताऊंगी कि लैपटॉप खरीदते समय आप किन जरूरी बातों का ध्यान रखकर एक अच्छे लैपटॉप का चुनाव कर सकते हैं। दोस्तों लैपटॉप खरीदते समय यह बात हमेशा ध्यान में रखनी चाहिए कि लैपटॉप में ऑपरेटिंग सिस्टम है या फिर बेसिक ऑपरेटिंग सिस्टम। अगर लैपटॉप में ऑपरेटिंग सिस्टम नहीं है तो आपको अलग से ऑपरेटिंग सिस्टम डलवाना होता है, इसके लिए आपको अलग से कुछ पैसा भी खर्च करना होगा। इसलिए हमारी सलाह है कि आप हमेशा ऑपरेटिंग सिस्टम के साथ आने वाला लैपटॉप की खरीदें। सबसे ज्यादा लोकप्रिय ऑपरेटिंग सिस्टम...

सीखने का जज्बा न तो आज कम है और ना हीं उस समय, बस हममें सीखने की ललक व जज्बा होना चाहिए

नमस्कार दोस्तों, ब्लॉगवाणी पर आपका स्वागत है। मैं हूं आपकी दोस्त शालू वर्मा। आज हम बात करेंगे शिक्षा यानी सीख की। सीख अच्छी या बुरी कैसी भी हो सकती है बस हमारा नजरिया सही होना चाहिए। एक ही कार्य के प्रति अलग-अलग लोगों का अलग अलग नजरिया होता है बस हमें उस नजरिए के द्वारा ही पता चलता है हम कुछ सीख रहे हैं या नहीं। वैसे सीखना जीवन पर्यंत चलने वाली प्रक्रिया है। एक व्यक्ति जन्म से लेकर मृत्यु तक कुछ न कुछ सीखता है। दोस्तों, हम अपनी रोजमर्रा जिंदगी में भी हर घड़ी हर पल कुछ न कुछ सीखते हैं। इस सीखने की प्रक्रिया के कारण ही रूढ़िवादी विचारों तकनीकों को छोड़कर नई तकनीकों को आत्मसात किया गया है। हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी तो युवा वर्ग को भारत की शक्ति मानते हैं और हमेशा कुछ नया करने पर बल देते हैं। वैसे, आपको बता दें कि सीखना तकनीक या फिर किसी नई खोज को ही नहीं कहते बल्कि एक नवजात शिशु का जन्म लेने के पश्चात पहली बार रोना भी सीखना ही होता है। प्राचीन समय में बालक सीखने के लिए आश्रमों में जाते थे। वहां पर ऋषि-मुनियों की शरण में रहकर दैनिक जीवन को चलाने के गुर सीखते थे। आज ...

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