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#जीवन_आनन्द: कांटे ही सुरक्षा कवच होते हैं, सीख लो

कोरोना ने Life Style को बदल दिया है। सुबह उठने से लेकर रात के सोने तक का टाईम टेबल परिवर्तित हो चुका है। व्यापार के नियम कायदे भी बदल रहे हैं। इस बीच कुछ को अवसर मिला है तो बहुत से लोग अवसाद में भी हैं। लेकिन क्यों ?

Vikas Kumar Verma
 जीवन प्रकृति से परे तो नहीं है! प्रकृति खुद बताती है कि ‘जीवन में छोटे से छोटे परिवर्तन’ के भी क्या मायने हैं। फिर हम छोटी-छोटी परेशानियों से घबरा क्यूं जाते हैं। दोस्तों, नमस्कार। ब्लाॅगवाणी के जीवन आनन्द काॅलम में आपका स्वागत है। मैं हूं आपके साथ विकास वर्मा। आईए, चर्चा करते हैं आज ब्लाॅगवाणी में ‘कांटों के सुरक्षा कवच’ की। क्योंकि गुलाब की तरह महकना है तो कांटों को ही सुरक्षा कवच बनाना होगा। जीवन में ‘बेर’ की सी मिठास चाहिए, तो कांटों को सुरक्षा कवच बनाईए। ग्वारपाठे से गुण चाहिए तो ‘कांटों को सुरक्षा कवच बनाईए। यानी कि जीवन में कांटों का सुरक्षा कवच हमें ‘VIP’ बनाता है। और ये कांटे होते हैं हमारी बाधाऐं, हमारी परेशानियां, हमारे दुखः।

यह तो तय है कि जीवन में हरेक परेशानी एक नयी राह दिखाती है। जब भी हम परेशानियों से घिरते हैं तो खुद को और अधिक मजबूत पाते हैं। एक पौधा जब पेड़ बनने की ओर अग्रसर होता है तो आसपास खरपतवार का उगना स्वाभाविक है, लेकिन पौधे को पेड़ बनने से वो रोक नहीं पाती। बल्कि कई बार हवा, पानी या अन्य परेशानियों के समय यही खरपतवार उसका सुरक्षा कवच बन जाती हैं।

बेर की झाड़ पर अगर कांटे ना हों तो वह किसी भी पशु का शिकार हो सकता है। ठीक इसी तरह ग़र जीवन में परेशानियों के कांटे ना हो तो जीवन अवसाद से घिर जाएगा। जीने की चाह और आनन्द फिर भला क्यूं रहेगें। तो फिर कोरोना के कांटों से कैसा घबराना। मुकाबला करिए, मुश्किल वक्त है, एक दूसरे का हाथ मजबूती से थामे रखिए। याद रखिए कि हर अंधेरी रात की सुबह है।


आप व्यापारी हैं तो कोरोना काल के साथ चलिए। कांटों को ही अपने सर का ताज बना लीजिए। अवसर को पहचानिए, हो सकता है यह आपकी उन्नति की उम्मीद लेकर ही आया हो! बाजार सूरज ढ़लने से पहले बंद हो रहे हैं। यानी कि आपको पहले से ज्यादा सोचने-समझने का वक्त मिल रहा है। याद रखिए कि केवल चाहत (Dream) से झोली में फूल नहीं गिरते, शाखाओं को हिलाना पड़ता है। इसलिए गुलाब कांटों के बीच रहकर भी महकता है, वह अपनी खूशबू कम नहीं होने देता।


जीवन में धारणा के विपरीत जाना सबसे मुश्किल काम है। ...और हम यहीं अटके हुए हैं। डर लगता है नुकसान से। लेकिन डर के आगे ही तो जीत छुपी हुई है। व्यापारी दहशत में हैं, दीपावली आने वाली है और कच्चे माल व थोक भाव में तेजी छाई हुई है। माल खरीदें या ना खरीदें। तय कीजिए, तय आपको करना है। व्यापार करना है कि नहीं करना। माल तो जिस भाव आएगा, उस भाव बिक जाएगा। भला जरूरतें कीमत कहां देखती हैं।

आप जितना कांटों के करीब जाओगे, कांटें आपको उतना ही मजबूत बनाएगें, यह तय है। जब भी कोई परेशानी आपका रास्ता रोकेगी, आप एक नयी राह पर चल पड़ेगें, यह भी तय है। यही नियम है। जीवन का। प्रकृति का।


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