सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

शाहजहांपुर बार्डर पर किसान आंदोलन में शामिल युवक ने खाया विषाक्त, प्रशासन में हडकंप



न्यूज चक्र/ ब्लाॅगवाणी। अलवर के शाहजहांपुर बार्डर के किसान आंदोलन से यह खबर जुड़ी हैं। जानकारी मिली है किसान कृषि बिलों के विरोध में चल रहे धरने में शामिल एक युवक ने विषाक्त पदार्थ खा लिया है। अचेतावस्था में युवक को शाहजहापुर के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में लाया गया, जहां चिकित्सकों की टीम ने हाथों हाथ युवक का उपचार कर बहरोड़ के राजकीय अस्पताल में रैफर कर दिया है। जहां युवक का ईलाज जारी है।

तो अलवर के शाहजहांपुर बार्डर पर आज यह एक हादसा होते होते बचा है। जहां एक युवक ने विषाक्त पदार्थ खा कर जीवन समाप्त करने की कौशिश की, हालांकि पुलिस प्रशासन और चिकित्सकों की तत्परता से युवक की हालत फिलहाल खतरे से बाहर बताई जा रही है। प्रशासन ने युवक की पहचान कोटपूतली निवासी कृष्ण स्वामी के रूप में की है, युवक कोटपूतली के सराय मौहल्ला निवासी बताया जा रहा है। 

हालांकि प्रशासन को अभी युवक के विषाक्त खाने के कारणों का पता नहीं चल पाया है। नीमराना उपखण्ड अधिकारी योगेश देवल ने कहा है कि इसकी जानकारी जुटाई जा रही है कि युवक ने ऐसा कदम क्यों उठाया है। फिलहाल युवक की हालत खतरे से बाहर है और बहरोड़ के राजकीय अस्पताल में उपराधीन है। 




प्रतिदिन के समाचार प्राप्त करने के लिए Follow के बटन पर क्लिक करें।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

'कॉकरोच' से डरती 'जिंदगी'

एक रेस्टोरेंट में अचानक ही एक कॉकरोच उड़ते हुए आया और एक महिला की कलाई पर बैठ गया। महिला भयभीत हो गयी और उछल-उछल कर चिल्लाने लगी…कॉकरोच…कॉकरोच… उसे इस तरह घबराया देख उसके साथ आये बाकी लोग भी पैनिक हो गए …इस आपाधापी में महिला ने एक बार तेजी से हाथ झटका और कॉकरोच उसकी कलाई से छटक कर उसके साथ ही आई एक दूसरी महिला के ऊपर जा गिरा। अब इस महिला के चिल्लाने की बारी थी…वो भी पहली महिला की तरह ही घबरा गयी और जोर-जोर से चिल्लाने लगी! दूर खड़ा वेटर ये सब देख रहा था, वह महिला की मदद के लिए उसके करीब पहुंचा कि तभी कॉकरोच उड़ कर उसी के कंधे पर जा बैठा। वेटर चुपचाप खड़ा रहा।  मानो उसे इससे कोई फर्क ही ना पड़ा, वह ध्यान से कॉकरोच की गतिविधियाँ देखने लगा और एक सही मौका देख कर उसने पास रखा नैपकिन पेपर उठाया और कॉकरोच को पकड़ कर बाहर फेंक दिया। मैं वहां बैठ कर कॉफ़ी पी रहा था और ये सब देखकर मेरे मन में एक सवाल आया….क्या उन महिलाओं के साथ जो कुछ भी हुआ उसके लिए वो कॉकरोच जिम्मेदार था? यदि हाँ, तो भला वो वेटर क्यों नहीं घबराया? बल्कि उसने तो बिना परेशान हुए पूरी सिचुएशन को पेर्फेक्ट्ली हैंडल किया। दरअसल, वो क...

कोई फ्री में दे तो क्या हम जहर भी खाने को तैयार हैं...

पढ़िए आज आपके स्वास्थ्य से जुड़ीे बड़ी कवरेज न्यूज चक्र पर...

यह समय समय की नहीं, समझ- समझ की बात है...😎😀

*गुम हो गए संयुक्त परिवार* *एक वो दौर था* जब पति,  *अपनी भाभी को आवाज़ लगाकर*  घर आने की खबर अपनी पत्नी को देता था ।   पत्नी की *छनकती पायल और खनकते कंगन* बड़े उतावलेपन के साथ पति का स्वागत करते थे ।  बाऊजी की बातों का.. *”हाँ बाऊजी"*   *"जी बाऊजी"*' के अलावा दूसरा जवाब नही होता था । *आज बेटा बाप से बड़ा हो गया, रिश्तों का केवल नाम रह गया*  ये *"समय-समय"* की नही, *"समझ-समझ"* की बात है  बीवी से तो दूर, बड़ो के सामने, अपने बच्चों तक से बात नही करते थे  *आज बड़े बैठे रहते हैं हम सिर्फ बीवी* से बात करते हैं दादाजी के कंधे तो मानो, पोतों-पोतियों के लिए  आरक्षित होते थे, *काका* ही  *भतीजों के दोस्त हुआ करते थे ।* आज वही दादू - दादी   *वृद्धाश्रम* की पहचान है,   *चाचा - चाची* बस  *रिश्तेदारों की सूची का नाम है ।* बड़े पापा सभी का ख्याल रखते थे, अपने बेटे के लिए  जो खिलौना खरीदा वैसा ही खिलौना परिवार के सभी बच्चों के लिए लाते थे । *'ताऊजी'*  आज *सिर्फ पहचान* रह गए और,......   *छोटे के ...

कृपया फोलो/ Follow करें।

कुल पेज दृश्य