Friends, you know Gautam Buddha. Wherever prince Siddhartha was before Gautam Buddha. At the age of just 29, he left his wife and children and went out into the jungles in search of knowledge. Today in Blogwani, a topic related to him, which is showing a mirror to the present time and society. so friends...
After retiring, Gautam Buddha traveled to many areas ... and during this time he went to a village. A woman came to him there and said, "You look like a prince." ... Can I know what is the reason for wearing ocher cloth in this youth? The Buddha humbly replied that ... he retired to find solutions to the 'three questions'. Buddha said, our body which is young and attractive, but soon it will be 'old', then 'sick' and finally 'death' will go into the mouth. I have to learn the reason of 'old age', 'disease' and 'death'. Impressed by the thoughts of Buddha, the woman invited him for a meal. Soon this thing spread throughout the village. The villagers came to Buddha and requested that they should not go to the house of this woman to eat, because she is 'characterless'.
Buddha asked the head of the village? Do you also believe that the woman is characterless? The chief said that I take an oath that she is a woman of bad character. You don't go to his house. The Buddha grabbed the right hand of the chief and asked him to clap, the chief said, "I cannot clap with one hand." Because you have held my other hand. Then the Buddha said, how can it itself be characterless? Unless the men of this village are characterless ..! If all the men of the village were good then this woman would not have been like this, so the men here are responsible for its character.
Everyone was ashamed to hear this.
Friends, it was a society of that era, which became ashamed after listening to the words of the Mahatma. But today's society wants to keep women in worse condition than before. If this was not the case, in today's society, there would be no 'mandi' of 'girls and women' on the roadside. I do not know the whole country, but yes, there are many places in Rajasthan where 'bases' run. This is not my allegation, media reports show, if in doubt, do a search on Google.
See also ...
... the question is ... if we are already educated and civilized, then why? Why do today's society not feel ashamed while taking 'dowry'.
Finally a question that you can answer… 'Who is characterless?
दोस्तों, गौतमबुद्ध को तो जानते हैं ना आप। वहीं जो कभी गौतमबुद्ध होने से पहले राजकुमार सिद्धार्थ थे। मात्र 29 साल की उम्र में अपने बीवी -बच्चों को छोड़कर जंगलों में निकल पड़े थे, ज्ञान की खोज में। आज ब्लाॅगवाणी में उन्हीं से जुड़ा एक प्रसंग, जो वर्तमान समय व समाज को आईना दिखा रहा है। तो दोस्तों...
संन्यास लेने के बाद गौतमबुद्ध ने अनेक क्षेत्रों की यात्रा की...और इस दौरान वे एक गांव में गए। वहां एक स्त्री उनके पास आई और बोली आप तो कोई राजकुमार लगते हैं। ...क्या मैं जान सकती हूं कि इस युवावस्था में गेरुआ वस्त्र पहनने का क्या कारण है ? बुद्ध ने विनम्रतापूर्वक उत्तर दिया कि...‘तीन प्रश्नों’ के हल ढूंढने के लिए उन्होंने संन्यास लिया। बुद्ध ने कहा, हमारा यह शरीर जो युवा व आकर्षक है, पर जल्दी ही यह ‘वृद्ध’ होगा, फिर ‘बीमार’ व अंत में ‘मृत्यु’ के मुंह में चला जाएगा। मुझे ‘वृद्धावस्था’, ‘बीमारी’ व ‘मृत्यु’ के कारण का ज्ञान प्राप्त करना है। बुद्ध के विचारो से प्रभावित होकर उस स्त्री ने उन्हें भोजन के लिए आमंत्रित किया। शीघ्र ही यह बात पूरे गांव में फैल गई। गांववासी बुद्ध के पास आए व आग्रह किया कि वे इस स्त्री के घर भोजन करने न जाएं, क्योंकि वह ‘चरित्रहीन’ है।
बुद्ध ने गांव के मुखिया से पूछा ? क्या आप भी मानते हैं कि वह स्त्री चरित्रहीन है? मुखिया ने कहा कि मैं शपथ लेकर कहता हूं कि वह बुरे चरित्र वाली स्त्री है। आप उसके घर न जाएं। बुद्ध ने मुखिया का दायां हाथ पकड़ा और उसे ताली बजाने को कहा, मुखिया ने कहा मैं एक हाथ से ताली नहीं बजा सकता। क्योंकि मेरा दूसरा हाथ आपने पकड़ा हुआ है। तब बुद्ध बोले इसी प्रकार यह स्वयं चरित्रहीन कैसे हो सकती है? जब तक इस गांव के पुरुष चरित्रहीन न हो..! अगर गांव के सभी पुरुष अच्छे होते तो यह औरत ऐसी न होती इसलिए इसके चरित्र के लिए यहा के पुरुष जिम्मेदार है।
यह सुनकर सभी ‘लज्जित’ हो गये।
दोस्तों, वह उस दौर का समाज था, जो महात्मा की बातें सुन शर्म से पानी-पानी हो गया। लेकिन आज का समाज तो स्त्रियों को पहले से भी बदतर स्थिति में रखना चाहता है। अगर ऐसा ना होता तो आज के समाज में सड़कों के किनारे ‘लड़कियों व महिलाओं’ की ‘मंड़ी’ नहीं लगती। मुझे पूरे देश की जानकारी तो नहीं है लेकिन हां, राजस्थान में ऐसी बहुत सी जगह हैं जहां ‘अड्डे’ चलते हैं। यह मेरा आरोप नहीं है मीडिया रिर्पोट्स बताती हैं, अगर शक है तो गूगल पर सर्च कर लीजिए।
यह भी देखिए...
...प्रश्न है...अगर हम पहले से शिक्षित और सभ्य हुए हैं तो फिर ऐसा क्यों? क्यों फिर ‘दहेज’ लेते समय आज के समाज को लज्जा नहीं आती।
आखिर एक प्रश्न जिसका जवाब आप दे पांए...‘चरित्रहीन कौन?
After retiring, Gautam Buddha traveled to many areas ... and during this time he went to a village. A woman came to him there and said, "You look like a prince." ... Can I know what is the reason for wearing ocher cloth in this youth? The Buddha humbly replied that ... he retired to find solutions to the 'three questions'. Buddha said, our body which is young and attractive, but soon it will be 'old', then 'sick' and finally 'death' will go into the mouth. I have to learn the reason of 'old age', 'disease' and 'death'. Impressed by the thoughts of Buddha, the woman invited him for a meal. Soon this thing spread throughout the village. The villagers came to Buddha and requested that they should not go to the house of this woman to eat, because she is 'characterless'.
Buddha asked the head of the village? Do you also believe that the woman is characterless? The chief said that I take an oath that she is a woman of bad character. You don't go to his house. The Buddha grabbed the right hand of the chief and asked him to clap, the chief said, "I cannot clap with one hand." Because you have held my other hand. Then the Buddha said, how can it itself be characterless? Unless the men of this village are characterless ..! If all the men of the village were good then this woman would not have been like this, so the men here are responsible for its character.
Everyone was ashamed to hear this.
Friends, it was a society of that era, which became ashamed after listening to the words of the Mahatma. But today's society wants to keep women in worse condition than before. If this was not the case, in today's society, there would be no 'mandi' of 'girls and women' on the roadside. I do not know the whole country, but yes, there are many places in Rajasthan where 'bases' run. This is not my allegation, media reports show, if in doubt, do a search on Google.
See also ...
... the question is ... if we are already educated and civilized, then why? Why do today's society not feel ashamed while taking 'dowry'.
Finally a question that you can answer… 'Who is characterless?
दोस्तों, गौतमबुद्ध को तो जानते हैं ना आप। वहीं जो कभी गौतमबुद्ध होने से पहले राजकुमार सिद्धार्थ थे। मात्र 29 साल की उम्र में अपने बीवी -बच्चों को छोड़कर जंगलों में निकल पड़े थे, ज्ञान की खोज में। आज ब्लाॅगवाणी में उन्हीं से जुड़ा एक प्रसंग, जो वर्तमान समय व समाज को आईना दिखा रहा है। तो दोस्तों...
संन्यास लेने के बाद गौतमबुद्ध ने अनेक क्षेत्रों की यात्रा की...और इस दौरान वे एक गांव में गए। वहां एक स्त्री उनके पास आई और बोली आप तो कोई राजकुमार लगते हैं। ...क्या मैं जान सकती हूं कि इस युवावस्था में गेरुआ वस्त्र पहनने का क्या कारण है ? बुद्ध ने विनम्रतापूर्वक उत्तर दिया कि...‘तीन प्रश्नों’ के हल ढूंढने के लिए उन्होंने संन्यास लिया। बुद्ध ने कहा, हमारा यह शरीर जो युवा व आकर्षक है, पर जल्दी ही यह ‘वृद्ध’ होगा, फिर ‘बीमार’ व अंत में ‘मृत्यु’ के मुंह में चला जाएगा। मुझे ‘वृद्धावस्था’, ‘बीमारी’ व ‘मृत्यु’ के कारण का ज्ञान प्राप्त करना है। बुद्ध के विचारो से प्रभावित होकर उस स्त्री ने उन्हें भोजन के लिए आमंत्रित किया। शीघ्र ही यह बात पूरे गांव में फैल गई। गांववासी बुद्ध के पास आए व आग्रह किया कि वे इस स्त्री के घर भोजन करने न जाएं, क्योंकि वह ‘चरित्रहीन’ है।
बुद्ध ने गांव के मुखिया से पूछा ? क्या आप भी मानते हैं कि वह स्त्री चरित्रहीन है? मुखिया ने कहा कि मैं शपथ लेकर कहता हूं कि वह बुरे चरित्र वाली स्त्री है। आप उसके घर न जाएं। बुद्ध ने मुखिया का दायां हाथ पकड़ा और उसे ताली बजाने को कहा, मुखिया ने कहा मैं एक हाथ से ताली नहीं बजा सकता। क्योंकि मेरा दूसरा हाथ आपने पकड़ा हुआ है। तब बुद्ध बोले इसी प्रकार यह स्वयं चरित्रहीन कैसे हो सकती है? जब तक इस गांव के पुरुष चरित्रहीन न हो..! अगर गांव के सभी पुरुष अच्छे होते तो यह औरत ऐसी न होती इसलिए इसके चरित्र के लिए यहा के पुरुष जिम्मेदार है।
यह सुनकर सभी ‘लज्जित’ हो गये।
दोस्तों, वह उस दौर का समाज था, जो महात्मा की बातें सुन शर्म से पानी-पानी हो गया। लेकिन आज का समाज तो स्त्रियों को पहले से भी बदतर स्थिति में रखना चाहता है। अगर ऐसा ना होता तो आज के समाज में सड़कों के किनारे ‘लड़कियों व महिलाओं’ की ‘मंड़ी’ नहीं लगती। मुझे पूरे देश की जानकारी तो नहीं है लेकिन हां, राजस्थान में ऐसी बहुत सी जगह हैं जहां ‘अड्डे’ चलते हैं। यह मेरा आरोप नहीं है मीडिया रिर्पोट्स बताती हैं, अगर शक है तो गूगल पर सर्च कर लीजिए।
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...प्रश्न है...अगर हम पहले से शिक्षित और सभ्य हुए हैं तो फिर ऐसा क्यों? क्यों फिर ‘दहेज’ लेते समय आज के समाज को लज्जा नहीं आती।
आखिर एक प्रश्न जिसका जवाब आप दे पांए...‘चरित्रहीन कौन?
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