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उम्र 77 और काम के घण्टे 17, यही तो है #जीवन_आनन्द

जीवन में नाम (Fame)और दाम कौन नहीं चाहता, लेकिन यह मिलते कैसे हैं। कैसे होते हैं वो लोग जो इसे प्राप्त करते हैं। ऐसा क्या करते हैं कि उनका नाम लोगों की जुबान पर चढ़ने लगता है और कुबेर देवता व माता लक्ष्मी उन्हीं पर बरसने लगती हैं ! दोस्तों नमस्कार। मैं हूं आपके साथ विकास वर्मा, और आप पढ़ रहे हैं #जीवन_आनन्द#ब्लाॅगवाणी पर आप सभी का स्वागत है।

दोस्तों, जीवन तो संघर्षों से भरा है। फिर यहां जीवन आनन्द कब और कैसे मिलता है? आईए, समझने की कौशिश करते हैं।


अमिताभ बच्चन, जिन्हें बाॅलीवुड का महानायक कहा जाता है, 77 साल की उम्र में आज भी 17-17 घण्टे काम कर रहे हैं। इतना ही नहीं उसके बाद चाहे जब भी अपने काम से फ्री हों, अपने प्रशंसकों के लिए प्रतिदिन ब्लाॅग जरूर लिखते हैं। इसमें उन्हें रात के 11 भी बज जाते हैं, और 3 भी । अमिताभ बच्चन का यही ‘काम करने का तरीका’ उन्हें महानायक बनाता है।

अमिताभ बच्चन इन दिनों केबीसी-12 की शूटिंग में व्यस्त हैं और लगभग 17 घण्टे काम कर रहे हैं।



नरेन्द्र मोदी, देश के वर्तमान प्रधानमंत्री। उम्र 70 साल, काम के वही प्रतिदिन लगभग 15 घण्टे। दिनभर में कितने लोगों से संवाद, मीटिंग और फिर अध्ययन और लेखन। सोच कर देखिए, यह सब इतना आसान तो नहीं रहता होगा। लेकिन नरेन्द्र मोदी की यही कार्यशैली और कार्य करने की क्षमता उन्हें प्रधानमंत्री के पद तक लेकर पहुंची है। आपको आश्चर्य होगा यह जानकर कि महज 15 साल की उम्र में नरेन्द्र मोदी अपना 'सपना' सच करने की राह पर निकल पड़े थे।




सचिन तेंदुलकर, जिन्हें दुनिया क्रिकेट के भगवान के रूप में जानती है। 16 साल की उम्र में भारत-पाकिस्तान के बीच एक टेस्ट मैच के दौरान तेज गेंदबाज वकार युनुस की एक गेंद सचिन की नाक पर आकर लगी थी, जिससे सचिन की नाक से खून बह निकला था। सभी ने सचिन को पवेलियन लौट जाने की सलाह दी। लेकिन सचिन ने कहा - ‘मैं खेलेगा’। और 16 साल की उम्र का सचिन मैदान पर डटा रहा। इतना ही नहीं जिस सचिन तेंदुलकर के पास आज नाम और दाम दोनों हैं, एक समय में पैसे ना होने के कारण उन्हें कई किलोमीटर पैदल चलना पड़ा था। क्रिकेट पिच पर गिरने वाली पसीने की बूंदों ने समय के साथ सचिन को क्रिकेट का भगवान बना दिया।

दोस्तों, विराट कोहली, बाबा रामदेव, मिल्खा सिंह सहित ऐसे अनेकों शख्सियत हैं जिनके संघर्ष की कहानियां आज उनके जीवन में ‘जीवन आनन्द’ बरसा रही है। इसलिए अपने काम करने के तरीके और अपनी सोच के नजरिए पर गौर करिए, और फिर समय के साथ Competition कीजिए। याद रखिए, कि ये सब वो लोग हैं जिन्होंने अपने आपको अनुशासित किया है, समय के साथ। 

दोस्तों, अभी कोरोना काल चल रहा है। हर व्यक्ति की दिनचर्या अस्त-व्यस्त है। नौकरी व व्यापार सभी प्रभावित हैं। समझ नहीं आ रहा है कि क्या किया जाए, ऐसे में निराश मत होईए। देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी एक बार कह चुके हैं कि विपदा को अवसर में बदलिए। अवसर तो हर परिस्थिति में मौजूद रहता है, बस उसके प्रति ‘नजरिया’ बदलने की जरूरत होती है। आप भी बदलिए, गारंटी है, जीवन आनन्द आपको भी जरूर मिलेगा।

मिलते है ब्लाॅगवाणी के अगले अंक में, तब तक इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करना ना भूलें, क्या पता इसे पढ़कर आपके लिए कोई ‘आईडिया’ निकल आए।

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