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सितंबर, 2019 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

हमारी पुलिस पूरी तरह से सजग और मुस्तैद रहती है साहब, यह टीवी और अखबार वाले तो झूठ बोलते हैं

दोस्तों नमस्कार, देखिए हमारी पुलिस पूरी तरह से मुस्तैद रहती है सजग रहती है और सतर्क रहती है। इस पर कोई भी टीका टिप्पणी करना और खामखा कोई आरोप लगाना सरासर गलत और नाजायज व नाइंसाफी है। ... यह टीवी चैनल और अखबार वाले झूठ बोल रहे हैं की हाईवे से गोवंश सप्लाई होता है।... यह जो शाहजहांपुर में हुआ यह आपने सही नहीं पढ़ा... दरअसल वह लोग तो खाली गाड़ी लेकर के जा रहे थे और यह तो जनता है जिसने उस गाड़ी को रोक करके उसमें गोवंश भर दिया और बाद में वाहन चालकों की पिटाई कर दी।... हमारी पुलिस तो मुस्तैद रहती है साहब! नेशनल हाईवे से एक भी ट्रक,  पिकअप या कोई भी वाहन में गोवंश तो क्या कोई भी पशुधन का परिवहन नहीं होने देती। आप लोग खा-म-खा आरोप लगाना बंद कीजिए और पुलिस को अपना काम करने दीजिए। यह जो जनता है जिसने यह मोब लिंचिंग की घटना को अंजाम दिया है उनमें से एक के को ढूंढ ढूंढ कर के निकालेंगे... बहरोड के आस पास के गांव वालों को तो पता होगा शाहजहांपुर वालों को पता लग जाएगा। इसलिए मैं फिर कह रहा हूं आपको आगाह कर रहा हूं ... कि मंगलवार, गुरुवार और शनिवार तो बिल्कुल भी आप हाईवे की किसी गाड़ियों पर नजर मत...

छाछ में मक्खी गिर जाए तो आप छाछ फेंक देते हैं और घी में गिर जाए तो...?

...चलिए पहले बात पूरी करता हूं। छाछ में मक्खी गिर जाए तो आप  मक्खी सहित पूरी छाछ फेंक देते हैं और घी में गिर जाए तो आप  केवल मक्खी निकाल कर फेंक देते हैं।... तब आप घी को नहीं फेंकते। क्यों ? कभी पूछा अपने आप से ! यही तो... मानसिकता है 'स्वार्थ' व 'अर्थ' से भरी। हर व्यक्ति, वस्तु और पद का मूल्यांकन 'आर्थिक' हो गया है। पूरा देश भ्रष्टाचार व रिश्वतखोरी पर उबाल खा रहा है।  सोशल मीडिया, सिनेमा, टीवी,  समाचार पत्र... हर जगह भ्रष्टाचार व रिश्वतखोरी पर बहस हो रही है।  घूस लेते कर्मचारियों के वीडियो  एक-दूसरे के साथ शेयर किए जा रहे हैं। थू थू करते है,  मन भर के गालियां देते हैं।... अच्छी बात है ऐसा होना भी चाहिए। मैं तो यह भी कहता हूं कि घूस लेने वालों का मुंह काला करके उन्हें पूरे शहर घुमाना चाहिए ताकि फिर कोई दूसरा ऐसा करने की हिम्मत ना कर सके। ... लेकिन मेरा मुद्दा यह नहीं है। मैं बात कर रहा हूं 'अपनी ईमानदारी' की। वह कहां गायब हो जाती है जब हमें खुद को कोई काम करवाने के लिए  'घूसखोर' ढूंढना पड़ता है। ध्यान रहे, आप मेरे इस आरोप से बच नहीं सकते। अग...

दक्षिण सूडान में सम्मानित हुई भारत की बेटियां ...कमेंट कर कहो शुक्रिया...

नमस्कार,  ब्लॉगवाणी पर एक बार फिर आपका स्वागत है।  दोस्तों,  दंगल फिल्म का मशहूर डायलॉग मारी छोरियां छोरों से कम है के ...सुना होगा ना आपने ... आपको याद भी होगा... वास्तव में आज हमारी बेटियां किसी मायने में बेटों से कम नहीं है... जीवन के हर क्षेत्र में बेटियां नए-नए कीर्तिमान स्थापित कर रही हैं…. अभी पिछले सप्ताह ही भारत की चार बेटियों को दक्षिणी सूडान में सम्मानित किया गया है …. आपको बता दें कि रीना यादव, गोपीका जागीरदार,  भारती सामंतराय, रागिनी कुमारी और कमल शेखावत... यह सब भारत की बेटियां हैं जो दक्षिणी सूडान में संयुक्त राष्ट्र मिशन के साथ काम कर रही हैं और सभी को संयुक्त राष्ट्र की तरफ से दक्षिणी सूडान में सराहनीय सेवाएं देने के लिए सम्मानित किया गया है... दोस्तों, कहने का अर्थ है कि बेटियों को प्रोत्साहन की जरूरत है। उनमें भी दमखम और प्रतिभा कूट-कूट कर भरी है। जरूरत केवल उनका मनोबल बढ़ाने और प्रोत्साहन देने की है। बेटियों को बेटों के अनुरूप आजादी और प्रोत्साहन मिले तो वह अपनी मनचाही उड़ान भरकर आसमान छूने की हिम्मत रखती हैं। दोस्तों, पिछले दिनों देश...

भैंस सी काया मेरे शहर की ....काहे मचाए कोहराम

खनन और ओवरलोड की समस्या को लेकर   विकास वर्मा की रचना... शानदार।

महिला विहीन थानों के पीछे सरकार की मंशा क्या है ?

 दोस्तों नमस्कार, जरा गौर से देखिए अखबार की यह  एक तस्वीर क्या कुछ कहती है। क्या सिर्फ इतना  कि राजस्थान के 61 थानों में महिला पुलिसकर्मी नहीं है? ... नहीं दोस्तों, यह तस्वीर इससे भी आगे कुछ बता रही है। यह तस्वीर या तो यह बता रही है कि राजस्थान में बेटियां पैदा ही नहीं हो रही है... या फिर यह तस्वीर यह बता रही है कि राजस्थान में बेटियों को समुचित शिक्षा उपलब्ध नहीं हो पा रही है। या फिर राजस्थान की बेटियों पर बंदीशें हैं कि वे सरकारी नौकरी नहीं कर सकती, खासकर पुलिस की ? या फिर इन सब से अलग यह तस्वीर यह कहती है कि राजस्थान में महिला थानों की जरूरत ही  नहीं है यहां की बहू बेटियां पूर्णत सुरक्षित हैं। ... अब आप भी बताइए आपको क्या लगता है। क्या नारी उत्थान की बात करने या बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा लगा देने मात्र से ' नारी सशक्तिकरण'  पूर्ण हो जाता है ! यह तस्वीर और आंकड़े हमें बता रहे हैं कि महिलाओं के साथ घरेलू हिंसा, दहेज उत्पीड़न और छेड़छाड़, बलात्कार जैसे संपूर्ण मामलों की जांच पुरुषों के हाथ में है, सवाल है क्यों ? ... आपके पास अगर सवालों का जवाब हो ...

रिद्धि सिद्धि व बुद्धि के दाता हैं गणेश जी

विघ्न हरण मंगल करन गणनायक गणराज । रिद्धि शिद्धि सहित पधारजो पूर्ण करजो काज…. दोस्तों नमस्कार, ब्लॉगवाणी में आप सभी का स्वागत है... दोस्तों, किसी भी कार्य के शुभारंभ से पहले सर्वप्रथम गणेशजी की पूजा करके शुरुआत की जाती है। विघ्‍नहर्ता गणपति भगवान को पूजनीय माना जाता है…. भगवान गणेश का महापर्व गणेश चतुर्थी देश भर में आज धूमधाम से मनाया जा रहा है... गणपति बप्पा आज घर घर में विराजएंगे.. ... भगवान गणेश को ज्ञान, बुद्धि और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। भगवान गणेश को गजानन, गजदंत, गजमुख जैसे नामों से भी जाना जाता है। हर साल गणेश चतुर्थी का पर्व भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी का पर्व हर साल हिन्दू पंचाग के भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। भगवान गणेश की मूर्ति स्थापति कर अगले 10 दिन तक गणेश उत्सव मनाया जाता है।   इस दिन लोग मिट्टी से बनी भगवान गणेश की मूर्तियां अपने घरों में स्थापित करते हैं। गणेश चतुर्थी का उत्सव मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा से शुरू होता है। पूजा के दौरान भगवान गणेश के पसंदीदा लड्डू का भोग लगाया जाता है। इसमें...

बेटी तो... बेटी भी नहीं रहती..... फिर बेटा क्यों ?

नमस्कार, मैं शालू... वही शालू जो ब्लॉगवाणी पर रोजाना आपका स्वागत करती है... हर दिन की तरह आज भी ब्लॉगवाणी पर आपका स्वागत है दोस्तों।  अच्छा एक बात बताइए, क्या बेटियां सच में 'बेटा' होती हैं। आपका जवाब हां हो सकता है लेकिन मैं कहूंगी नहीं...! बेटियां बेटी ही रहती हैं जब तक.... तब तक की ...वह कुछ ऐसा ना कर दें कि ' पिता गर्व से कहें कि "यह बेटी नहीं बेटा है मेरा'। जी हां दोस्तों, सौ फीसदी सही कह रही हूं मैं। अब शुक्लावास गांव से निकली निशा यादव को ही देख लीजिए। टीवी चैनल और अखबार बता रहे हैं... खुद निशा ने भी बताया। ... कि मेरे शुरुआती फैसले से पापा नाराज थे।  मुझे घर से निकलना पड़ा। ... लेकिन अब निशा कामयाब हो चुकी है। अब वह मुंबई की चहेती है... मॉडल है... वकालत कर रही है।... तो अब वह पापा का बेटा है। दोस्तों, यह केवल अकेली निशा का दर्द या कहानी नहीं है। ऐसा तो हर एक लड़की के साथ होता है। लड़की की शादी से पहले तक कमोबेश हर पिता अपनी बेटी को 'बेटा' कहकर ही संबोधित करता है। ... लेकिन उसे बेटों की तरह लाइफस्टाइल में जीने की मनाही होती है। ......

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